संयुक्त राष्ट्र के आगामी COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत जलवायु आपदाओं के कारण हुए नुकसान के लिए भुगतान की मांग करेगा. ब्लूमबर्ग ग्रीन पर छपी खबर के मुताबिक पर्यावरण मंत्रालय के वरिष्ठ नौकरशाह रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि जलवायु आपदाओं के कारण हुए खर्च विकसित देशों द्वारा वहन किये जाने चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत इस मामले में कम आय वाले देशों के साथ खड़ा है.
इस वार्षिक सीओपी जलवायु शिखर सम्मेलन का आयोजन ग्लासगो, स्कॉटलैंड में होना है. जिसमें दुनिया भर के नेता और राजनयिक शामिल होंगे. इसे जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए बैठक के रूप में देखा जा रहा है.
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता के अनुसार “जलवायु आपदाओं के लिए मुआवजे का मुद्दा बैठक में एक प्रमुख बिन्दु बनने की उम्मीद है. कुछ विषय ऐसे है जिन्हें भारत की तरफ से अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी के सामने पहले ही रखा जा चुका है. अधिकांश ग्रीनहाउस अमीर देशों के द्वारा लगाया गया है जिससे हमारा ग्रह पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ज्यादा गरम हो गया है.”
ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट से मिली जानकारी के मुताबिक 1750 से 2018 तक दुनिया में सबसे अधिक कार्बन डाइआक्साइड अमेरिका ने रिलीज किया है. इस अवधि में अमेरिका ने 397 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइआक्साइड रिलीज किया है.
इसी अवधि में चीन ने 214 बिलियन मीट्रिक टन, रूस ने 180 बिलियन मीट्रिक टन, जर्मनी ने 90 बिलियन मीट्रिक टन, यूके ने 77 बिलियन मीट्रिक टन, जापान ने 58 बिलियन मीट्रिक टन और भारत ने 51 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइआक्साइड रिलीज किया है.