आधार और वोटर आईडी को जोड़ने के पीछे की मंशा

अगले साल पांच राज्‍यों में चुनाव से पहले सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उसने सोमवार को लोकसभा में चुनाव अध‍िनियम संशोधन विधेयक (Election Law Amendment Bill) पेश किया. इसका मकसद वोटर आईडी को आधार कार्ड के साथ जोड़ना है। कानून मंत्री किरण रिजिजू ने बिल पर चर्चा के लिए इसे निचले सदन में इंट्रोड्यूस किया. विपक्ष के भारी विरोध के बीच यह लोकसभा से पारित हो गया है. बिल के कुछ प्रावधानों पर विपक्ष को काफी आपत्ति है. उसने बिल को संसद की स्‍थायी समिति के पास भेजने की मांग की है। हालांकि, सरकार ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया है.


इस बिल को लाने में सरकार की मंशा क्‍या है इस पर किरण रिजिजू ने सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण दिया है. उनके अनुसार, आधार कार्ड को वोटर लिस्ट के साथ जोड़ना जरूरी नहीं है. यह स्वैच्छिक यानी वॉलेंटरी है. इससे एड्रेस पता करने में मदद होगी. फर्जी वोटिंग को रोकने में मदद मिलेगी.


साथ ही साथ उन्‍होंने कहा है कि चुनाव सुधार के नजरिये से यह बहुत ही अहम बिल है. अभी की प्रणाली में अगर 2 जनवरी तक आपका नाम मतदाता सूची में नहीं आया तो आपको 1 साल इंतजार करना पड़ता था. अब इसके लिए साल में 4 बार विंडो खुलेगी. रिजिजू ने बताया है कि अधिनियम (1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) में ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर स्पाउस (जीवनसाथी) किया गया है.

आधार-वोटर आईडी लिंक होने से फायदे के तर्क

जाने-माने एडवोकेट अश्विनी उपाध्‍याय इस फैसले के फायदों के बारे में बताते हैं. उनके अनुसार, देश में अभी करोड़ों की संख्‍या में डुप्‍लीकेट वोटर आईडी बने हुए हैं. नया कानून बनने के बाद ये सभी गायब हो जाएंगे. वोटर आईडी को आधार से लिंक करने पर घुसपैठियों को पकड़ने में मदद मिलेगी. फेक वोटर आईडी के जरिये जो और कई तरह की गैर-कानूनी गतिव‍िधियां हो रही थीं, उन पर भी अंकुश लगेगा.

कानूनी एक्‍सपर्ट के मुताबिक, अभी फेक वोटर आईडी की मदद से मोबाइल कनेक्‍शन लिए जा रहे थे. राशन कार्ड भी बनवाए जा रहे थे. अन्‍य कई तरह की सरकारी सुविधाएं भी ली जा रही थीं. इन सभी पर कंट्रोल होगा. बड़ी संख्‍या में रोहिंग्‍या बांग्‍लादेशियों ने वोटर आईडी बनवा ल‍िए हैं. उन्‍हें भी पकड़ने में मदद मिलेगी। फर्जी वोटर आईडी के जरिये जो भी खेल चल रहा था अब उन सभी चीजों पर रोक लगेगी.

वोटिंग के फर्जीवाड़े पर भी कसेगी नकेल

एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि यह फर्जी वोटिंग पर भी नकेल कसेगा. देखने में आया है कि अभी एक ही व्‍यक्ति का शहर और उसके गांव में भी वोटर लिस्‍ट में नाम होता है. इस तरह उसके लिए दोनों जगह वोट देने का रास्‍ता खुला रहता है. यह फर्जीवाड़े को जन्‍म देता है. नया कानून बनने के बाद लोग अलग-अलग स्‍थानों पर मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा सकेंगे. इस तरह चुनावों में धांधली की गुंजाइश कम होगी. पिछले साल मार्च में कानून मंत्रालय ने संसद को बताया था कि इस बारे में चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार नंबर के साथ जोड़ने का प्रस्‍ताव दिया है.

क्‍यों हो रहा है इस बिल का विरोध?

वोटर आईडी के साथ आधार को लिंक करने के खतरे भी हैं. विपक्ष इन्‍हीं को लेकर हंगामा कर रहा है. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने बिल का विरोध किया है. उनका कहना है कि इससे लोगों के बुनियादी अधिकारों का उल्‍लंघन होगा. विपक्ष का यह भी आरोप है कि बिल आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्‍लंघन करता है. उसने बिल को स्‍टैंडिंग कमिटी के पास भेजने की मांग की है.

लोकसभा में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्‍होंने कहा कि इतनी हड़बड़ी किस बात की है? आज ही बिल लाना और आज ही इसे पारित करना. इस जल्दबाजी से लगता है कि सरकार के इरादे ठीक नहीं हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बिल का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा.

आधार-वोटर आईडी लिंक होने से क्‍या है खतरा?

आधार को वोटर आईडी के साथ लिंक करने के खतरे से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है। अभी वोटरों का डेटा चुनाव आयोग के डेटाबेस में रहता है। यह सरकार के किसी भी दूसरे डेटाबेस के साथ लिंक नहीं होता है। आधार और वोटर आईडी के डेटाबेस लिंक होने पर लोगों की जानकारियां एक-दूसरे से जुड़ जाएंगी। हाल में डेटा लीक होने और हैकरों के इन्‍हें हासिल कर लेने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में लोगों की प्राइवेसी खत्‍म होने की आशंका बढ़ सकती है।

आधार वोटर आईडी लिंक को सुप्रीम कोर्ट पहले ही लगा चुका है रोक

दरअसल आधार वोटर आईडी लिंक करने के लिए चुनाव आयोग पहले भी यानी मार्च 2015 में प्रयास कर चुका है. उस दौरान 30 करोड़ से अधिक वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का काम पूरा हो गया था परन्तु लिंक करने के दौरान ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोंगो का नाम वोटर डेटा बेस से हट गया था. इस बात को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा और तत्काल प्रभाव के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया था तथा साथ ही आदेश दिया था कि आधार और वोटर आईडी कार्ड लिंक करना स्वैच्छिक होना चाहिए अनिवार्य नही.

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