सैकड़ो मंदिरों और मकानो की कब्र पर खड़ा हो रहा काशी कॉरिडोर

वो मंदिर तोड़ने आए थे. हमने कहा, इसे मत तोड़िये, हम हटा देंगे. लेकिन उसके बावजूद भी जेसीबी से हनुमान जी की मूर्ति का तीन टुकड़ा कर दिया गया. मुड़ी अलग हो गया, पैर अलग और हाथ अलग हो गया.

इसके बाद हमने कहा कि इसको हम जल में डाल देते हैं तो उन्होंने इस से भी इंकार कर दिया और कतवार (कूड़ा-करकट) के संग उठा के फेंक दिया.

एक स्थानीय नागरिक से हमारी बातचीत चल ही रही थी कि पीछे से एक दूसरे व्यक्ति ने दुख और निराशा भरे भाव से पूछा, अरे काली माई भी गायब हो गई!

उनका अर्थ था कि काली मां की मूर्ति जो कल तक यहीं थी, आज गायब है. सरकार ने उसे भी हटा दिया है.

माँ काली के मंदिर का बाहरी हिस्सा
माँ काली के मंदिर का वो हिस्सा जहाँ से मूर्ति हटा दी गई है

काशी कॉरिडोर वाकई में एक खूबसूरत जगह बनाई जा रही है. हो सकता है कि इससे लाखों-करोड़ो की संख्या में पर्यटकों का आकर्षण बढ़े. लेकिन मणिकर्णिका घाट के पास लकड़ी का व्यापार करने वाले एक स्थानीय दुकानदार जो पहले एक लोकल गाइड भी रह चुके हैं. उनकी चिंता अलग है. उन्होंने कहा कि “बनारस में लोग आधुनिक और चमचमाती चीजों को देखने नहीं आते बल्कि बनारस तो संकड़ी गलियों का शहर है. यहाँ लोग पुरानी गलियों और पुरानी चीजों को देखने आते है.”

स्थानीय लकड़ी व्यवसायी

स्थानीय लोगों में गुस्सा है और डर भी

कॉरिडोर के गेट नंबर 4 से होते हुए जब हम मणिकर्णिका घाट के लिए उस संकड़ी गली से गुजर रहे थे तब जगह-जगह खड़ी पुलिस फ़ोर्स को देखकर एक सहयोगी ने कहा कि “इस जगह को हिंदूओं का कश्मीर बना दिया गया है.”

कश्मीर की समस्या बड़ी है इसलिए मैं इस बात से सहमत नहीं हो पाया लेकिन स्थानीय लोगों से बातचीत के दौरान उनकी आंखों में डर, निराशा और गुस्सा का मिलाजुला भाव लगातार दिख रहा था.

स्थानीय सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मंत्री का नाम सुनते ही एक स्थानीय नागरिक ने दांत निपोरते हुए कहा कि “वो सांसद तो है लेकिन एक बार भी पलट कर देखने नहीं आये.” स्थानीय विधायक के प्रति भी लोगों में भरपूर गुस्सा दिखा.

बातचीत के दौरान लोग बार-बार दुहराते रहे कि “हम ज्यादा कुछ नहीं बोल सकते, सबको अपना जान प्यारा होता है.”

कई लोग तो कैमरे पर बोलने को तैयार ही नही हुए और एक स्थानीय व्यक्ति ने कैमरा बंद होने के बाद आग्रह किया कि “इसको ऐसे जगह मत डालिएगा जिससे मेरी जान को खतरा हो.”

हिंदुवादी छवि वाली सरकार पर मंदिर तोड़ने का आरोप

वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की छवि हिंदुवादी है. इसके बावजूद भी उन पर 300 से अधिक मंदिरों और मकानों को तोड़ने का आरोप लगा है. सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से काशी कॉरीडोर के निर्माण के लिए इन मंदिरों और घरों को तोड़ कर हटा दिया गया है.

मंदिर तोड़ कर मंदिर बनाने के सवाल पर राजू पंडित नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि “बहुत सारा मंदिर तोड़ कर गंगा में डाल दिया गया और बहुत सारे मंदिर को तोड़ कर नाले में डाल दिया गया. एक बार नहीं, अनेकों बार पोखराया गया.”

“मकान और मंदिर के साथ बहुत सारे धर्मशालाओं को भी तोड़ दिया गया है. वो पब्लिक को दिखा रहे हैं कि विकास कर रहे हैं, लेकिन जनता का विनाश कर रहे हैं.”

राजू पंडित

“आसपास के लोगों ने कई बार विरोध किया लेकिन सरकार के द्वारा दबा दिया गया. जिनके पास कागज थे उन्हें मुआवजा मिला लेकिन ऐसे 50 से 100 घर थे जिनके पास कागज नहीं थे. उनका अधिग्रहण बिना मुआवजे के ही कर लिया गया. किसी को कोई नोटिस भी नहीं मिला था.”

“मदिर और मकान टूटने के पहले से विरोध होते रहे लेकिन मंदिर के अधिकारी विशाल सिंह फोर्स लेकर आते थे और पूरा मकान घेरवा देते थे.”

सवाल सिर्फ मंदिरों का नहीं है. अंतिम संस्कार सामग्री के एक विक्रेता ने बताया कि “इसके अंदर मंदिरों के साथ-साथ लोगों के घर और दुकान भी थे. ये पूरा मुहल्ला था, यहाँ लोगों का रोजगार था.”

अंतिम संस्कार सामग्री विक्रेता

लोगों की रोजी-रोटी इसी घाट से जुड़ी थी लेकिन अब मकान ढहने के बाद जो मुआवजा मिला उससे इस इलाके में जमीन और घर खरीदना संभव नहीं था. अधिकतर लोग यहाँ से विस्थापित होकर गांवों में चले गए. जिससे उनके जीवन और रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ा.

गेस्ट हाउस और लकड़ी की दुकान का संचालन करने वाले व्यक्ति ने हमें ये भी बताया कि “जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यहाँ आई थी तब उनके पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें इस मुहल्ले में आने ही नहीं दिया.”

उन्होंने आगे बताया कि सरकार गंगा तट से 200 किमी के इलाके में निर्माण कार्य नही कराने देती. इस इलाके में जिनका घर है, उन्हें अपने घरों को सिर्फ मरम्मत कराने की ही अनुमति मिलती है. जब आम आदमी नया निर्माण नहीं करा सकता तो सरकार पुराने मंदिर और मकान को तोड़ कर नया निर्माण कैसे करा रही है.

स्थानीय लोग इस बदलाव से नाराज दिखे. बाहर से ये कॉरिडोर देखने में भले ही आकर्षक दिखे लेकिन इसकी जड़ें सैकड़ों बनारसवासियों के रोजी-रोटी की कब्र पर फल-फूल रही है.

काशी कॉरिडोर जहां से सुंदर दिखता है || काशी कॉरिडोर जहां सबकुछ तोप दिया गया है

वैसे तो बातचीत के दौरण अधिकतर लोग मौजूदा सरकार से नाराज दिखे और कहा कि इस बार वो अपने मुद्दे के साथ खड़े है. लेकिन देखना ये है कि पूरे उत्तर प्रदेश के चुनाव पर 300 से अधिक मंदिर और मकान को तोड़े जाने का कितना असर होता है?

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