जानिए क्या है विनोद राय के माफ़ी के मायने

CAG विनोद राय ने कांग्रेस के पूर्व नेता संजय निरुपम से अपने पुराने बयान के लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगी है.

दिल्ली के पटियाला हाउस में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में विनोद राय की माफी स्वीकार करते हुए निरूपम का बयान दर्ज कर मामले का निपटारा कर दिया है.

पूर्व सीएजी विनोद राय ने अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उन्होंने अनजाने में और गलत तरीके से निरूपम के नाम का उल्लेख किया था.

विनोद राय ने अपने हलफनामे में कहा, ‘मैंने अनजाने में और गलत तरीके से संजय निरूपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों में से एक के रूप में किया था, जिन्होंने लोकलेखा समिति (पीएसी) की बैठकों में या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठकों से इतर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर कैग की रिपोर्ट से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए दबाव डाला था.’

पूर्व सीएजी ने यह भी कहा है कि निरूपम के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं

विनोद ने अपने पुराने बयान में संजय निरुपम पर यह इल्ज़ाम लगाया था कि उन्होंने और दूसरे नेताओं ने विनोद पर 2G स्पेक्ट्रम मामले में मनमोहन सिंह का नाम ना लेने का दवाब डाला था. उन्होंने यह आरोप अपनी किताब ‘नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट : द डायरी ऑफ द नेशन्स कन्साइंस कीपर’ में भी दोहराया है.

संजय निरुपम ने 2014 में ही विनोद राय को अपना बयान वापस लेने को कहा था, जो कि उन्होंने नहीं लिया. तब निरुपम ने दिल्ली के पटियाला हाऊस कोर्ट में राय के खिलाफ मानहानि का केस ठोक दिया था.

संजय निरुपम का दावा है कि विनोद राय ने 2G स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन के मामले में जो भी कहा था वो गलत बुनियादों पर कहा था.

विनोद राय ने कोर्ट में अपनी माफ़ी में यह कहा है कि उन्होंने जो भी इल्जाम लगाये थे वे वास्तविक तौर पर गलत थे और उन्होंने संजय निरुपम के नाम का गलत उल्लेख किया था.

कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेरा ने विनोद के इस बयान पर कहा कि उनको पूरे देश से भी अपने गलत बयान के लिए उसी तरह माफी मांगनी चाहिए जिस तरह उन्होंने निरुपम से माफ़ी मांगी है.

साल 2009 में मनमोहन सिंह की अगुआई में यूपीए केंद्र में जब दोबारा आयी तब 2010 से सरकार के लिए मुश्किलों का दौर आरंभ हुआ. महालेखाकार और नियंत्रक विनोद राय ने साल 2008 में हुए 2 जी स्पेक्ट्रम और कोल ब्लॉक आवंटन पर सवाल खड़े कर एक लाख छिहत्तर हज़ार करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप का कच्चा-पक्का चिट्ठा रख दिया.

उसके बाद उस समय की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी केंद्र की यूपीए सरकार पर हमलावर हो गयी. सरकार के कई मंत्रियों को इस्तीफा देकर जेल जाना पड़ा.

2जी स्पेक्ट्रम और कोल ब्लॉक आवंटन में कथित आर्थिक अनियमितता के आरोप के बुनियाद पर इंडिया अंगेस्ट करप्शन के बैनर तले दिल्ली को केंद्र बनाकर देश भर में आंदोलन हुआ.

उस आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और मोदी सरकार में जेम्स बांड माने जाने वाले अजीत डोभाल की भूमिका उल्लेखनीय रही.

भारतीय जनता पार्टी ने इस मसले को साल 2014 का चुनावी मुद्दा बनाया.

मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार खुद का बचाव तक नहीं कर पायी. आनन-फानन में मंत्रियों के इस्तीफे हुए और उन्हें जेल जाना पड़ा.

कुल मिलाकर जनवरी 2008 से मई 2013 तक कैग प्रमुख रहे विनोद राय की रिपोर्ट की ताप से यूपीए-2 भरभरा गयी.

भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनने पर उन्हें कई महत्वपूर्ण पद हासिल हुए.

फिलहाल, संजय निरुपम से विनोद राय द्वारा माफी मांगने पर कांग्रेस पूर्व सीएजी विनोद राय और बीजेपी सरकार पर हमलावर है.

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर विनोद राय को भाजपा का कठपुतली बताया है. उन्होंने कहा है कि विबोड राय को कांग्रेस सरकार पर झूठा आरोप लगाने के लिए पूरे देश से माफी मांगनी होगी.

(एडिटिंग – आशुतोष कुमार पांडेय)

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