बांग्लादेश में हुई हिंसा के जवाब में त्रिपुरा में भी हुई मस्जिदों में तोड़फोड़

सांप्रदायिक हिंसा कई वर्षों से चली आ रही है. इस मामले को लेकर अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले, लोगों के बीच बढ़ते तनाव और अफवाहों का चलन कोई नयी बात नहीं है. इस वर्ष नवरात्रि के दौरान बांग्लादेश मे दुर्गा पूजा पंडाल में भगवान की प्रतिमा के नीचे कुरान रखे जाने के अफवाह से वहां  हरकंप मच गया और इसी के साथ अल्पसंख्यक हिंदूओं पर  हिंसा होने लगी. बांग्लादेश में हिंदूओ कि संख्या बहुत कम है और इसी कारण कई वर्षों से उनके साथ हिंसा होती आ रही है.

वहीं भाजपा का अखिल-हिंदू राष्ट्रवाद बांग्लादेश में भारत की विदेश नीति के लक्ष्य से टकराता है. इसी मामले के जवाबी करवाई में त्रिपुरा में मस्जिद में तोड़फोड़ घर और दुकानों में आगजनी का माहौल है. विश्व हिंदू परिषद द्वारा रैलियां भी निकाली गई हैं.

2009 में हसीना  मलिक के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में तेजी आई. और इन्ही संबंधो  के समर्थन का एक हिस्सा हसीना मलिक की पार्टी अवामी लीग के साथ है जो भारत द्वारा 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान से अलग होने में मदद करने के बाद पारंपरिक तौर से दिल्ली से जुड़ी हुई है.

पिछले कुछ वर्षों से, अवामी लीग ने सार्वजनिक रूप से भारत की आलोचना करना शुरू कर दिया है. 2019 में बांग्लादेश सरकार के एक मंत्री ने NRC पर चिंता जताई थी. एक साल बाद खुद हसीना ने नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना की थी.

हालाँकि इन बयानों ने बांग्लादेश में बढ़ती भारत विरोधी भावना को कम करने के लिए कुछ नहीं किया है. मार्च में मोदी की बांग्लादेश यात्रा में विरोध प्रदर्शन होने लगें जिसमें 13 लोग मारे गए और कुछ मामलों में हिंदू संस्थानों पर भी हमला किया गया. एसोसिएटेड प्रेस ने बताया कि हिंसा के दौरान दंगा करने वाली भीड़ ने “भारत विरोधी नारे लगाए और प्रधान मंत्री शेख हसीना की आलोचना की, उन पर नई दिल्ली के करीबी होने का आरोप लगाया”.

हसीना मलिक ने बांग्लादेश के भीतर हुई हिंसा के लिए भारत को दोष देना शुरू कर दिया है. और इस हिंसा के बाद शेख हसीना ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि हमारे पड़ोसी देश को भी इस मुद्दे पर सहयोग जताना चाहिए. उन्होंने कहा कि “भारत को यह भी सुनिश्चित कराना चाहिए कि भारत में कुछ भी नहीं किया गया है, जो कि देश को प्रभावित करता है और हमारे हिंदू समुदाय को चोट पहुंचाता है”.

वामपंथी राजनीतिक दल गणसंहति आंदोलन के मुख्य समन्वयक जुनैद साकी ने “डीडब्ल्यू” को बताया कि अवामी लीग हमलों की निंदा करती है, लेकिन उन्हें फिर से होने से रोकने के लिए कुछ नहीं करती है. इन हमलों का पैटर्न समान है जिसमें पहले फेसबुक पर कुछ पोस्ट किया जाता है और दूसरों द्वारा ‘इस्लाम का अपमान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है. और फिर लोगों का एक समूह एक विशेष स्थान पर हमला करता है जहां धार्मिक अल्पसंख्यक रहते हैं”.

साकी का कहना है कि सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी हमले के बाद धार्मिक कट्टरपंथियों को दोषी ठहराती है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी करती है लेकिन बाद में कुछ नहीं होता और हमले के दोषियों को सजा नहीं मिलती.

त्रिपुरा में कई पत्रकारों, सीपीआई-एम के नेताओं के घरों पर भी हमले किए गए हैं. 15 अक्टूबर को नोआखाली  इलाके में एक इस्कॉन मंदिर पर भीड़ ने कथित तौर पर हमला किया. फिर इस्कॉन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री से बात करने की बात कही और उन्होंने चिट्ठी लिखकर युनाइटेड नेशन को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा.

दूसरी ओर राहुल गांधी ने त्रिपुरा हिंसा मे ट्विटर पर बयान जारी करते हुए कहा कि

“त्रिपुरा में हमारे मुसलमान भाइयों पर क्रूरता हो रही है. हिंदू के नाम पर नफरत व हिंसा करने वाले हिंदू नहीं, ढोंगी है. सरकार कब तक अंधी-बहरी होने का नाटक करती रहेगी”?

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