दिल्ली से सटे गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थानों पर खुले में नमाज पढ़े जाने को लेकर विवाद इस कदर बढ़ता जा रहा है कि दोनों समुदाय के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है. हिंदू संगठनों ने ऐलान किया है वे इस तरह खुले में नमाज़ अदा नहीं होने देंगे, इसके लिए चाहे लाठी खानी पड़े या फिर गोली.
बता दें कि गुरुग्राम में खुले में हो रहे नमाज का विरोध साल 2018 से चल रहा है. इस विरोध को देखते हुए तीन साल पहले प्रशासन द्वारा गुरुग्राम में मुस्लिम समुदाय के लोगों को जुम्मे की नमाज़ अदा करने के लिए 37 जगहों को चिन्हित किया गया था. प्रशासन के इस फैसले का विरोध उस समय भी किया गया था. लेकिन पिछले कुछ महीनों से यह विरोध और भी उग्र होता जा रहा है. बीते दिनों करीब 30 लोगों को हरियाणा पुलिस ने धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में हिरासत में लिया था.
पिछले कुछ महीनों से हिंदू संगठनों द्वारा बार बार खुले में नमाज़ अदा करने का विरोध किया जा रहा है. कई स्थानों पर नारेबाजी की गई है और नमाज को बाधित करने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन भी किया गया है. संयुक्त हिन्दू संघर्ष समिति के अध्यक्ष महावीर भारद्वाज ने कड़े लहज़े में यह चेतावनी दी है कि वे किसी भी कीमत पर खुले में नमाज अदा करने नहीं देंगे.
तनाव का आलम इस कदर है कि गुरुग्राम में जहां-जहां भी मुस्लिम समुदाय के लोग जुम्मे की नमाज पढ़ते हैं, वहां प्रशासन द्वारा सुरक्षा बढ़ा दी जाती है. विरोध प्रदर्शन का यह मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. जबकि प्रशासन का कहना है कि विरोध कर रहे लोगों को समझाया गया है. अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है मगर जल्द ही कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा.
जहां एक तरफ हिंदू संगठनों का कहना है कि मुस्लिमों को नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में भेजा जाए. धार्मिक भावनाओं को ठेंस नहीं पहुंचाई जाए. अगर उनकी मांग को दरकिनार किया जाता है तो हर शुक्रवार को यहां हिन्दुओं द्वारा पूजा और भजन-कीर्तन किया जाएगा और ये तब तक चलेगा, जब तक इन सभी 37 जगहों पर नमाज़ बंद नहीं हो जाती. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष शहजाद खान ने मुस्लिमों का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रशासन से हमारी अनुरोध है कि या तो हमें ज़मीन दे दें, जिससे हम मस्जिद बना सके या बंद किए गए मस्जिदें खोल दी जाए तो हमें खुले में नमाज पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
अब देखना यह है कि आखिर कब तक दो धर्मों के बीच इस प्रकार का विवाद चलता रहेगा? किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए प्रशासन को जल्द से जल्द उचित और स्थायी समाधान निकालना चाहिए. ताकि दोनों धर्मों के बीच आपसी सौहार्द बना रहे.