नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लिया

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमिटी से अचानक इस्तीफा देने के करीब एक महीने बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को बताया की उन्होंने अध्यक्ष के पद से इस्तीफा वापस ले लिया.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते सिद्धू ने साफ-साफ कहा कि जिस दिन पंजाब को एक नया महाधिवक्ता (AG) मिल जाएगा, वह कार्यभार संभालेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि पद मायने नहीं रखती जब आप सच्चाई के रास्ते पर हो.

ज्ञात रहे कि 19 जुलाई को पीपीसीसी प्रमुख नियुक्त किए गए सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी की नई सरकार में मंत्रियों के विभागों के आवंटन के कुछ मिनट बाद ही इस्तीफा दे दिया था.

सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को भेजे गए इस्तीका पत्र में लिखा था कि वे पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकते. इसलिए वे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहे हैं.

सिद्धू के इस्तीफे की एक वजह यह भी हो सकती है कि कांग्रेस ने सीनियर वकील एपीएस देओल को अपने महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त कर लिया था. इस कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई, क्योंकि देओल हाल में हो रही प्रदर्शनकारियों के घटनाओं के दौरान नियुक्त पुलिस प्रमुख डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील थे. देओल ने उनके खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा लगाए गए चार मामलों में उन्हें छुपाकर जमानत दिलवाई थी.

सिद्धू समर्थकों का मानना है कि इस कदम पर वे नाराज थे क्योंकि यह कदम बहबल कलाँ में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग के पीछे के लोगों को सजा देने के सरकार के उद्देश्य का उल्लंघन कर रहा था, जिसमें दो लोग मारे गए थे.

सिद्धू ने कहा कि AG और DGP ऐसे दो जरूरी अधिकारी हैं जिन्हें बरगारी के मुद्दों का तर्कसंगत समाधान निकाल सकते हैं और उनको हटाना पार्टी की माँग है. उन्होंने पंजाब सरकार पर सवाल भी उठाया कि उनका इस मामले में न्याय पहुँचाने का क्या इरादा है. उनका कहना है कि पंजाब में सरकार या तो बड़े वादे करके बन सकती है या तो एक एजेंडा पर काम करके पंजाब को उसकी अपूर्व सुंदरता पर वापस लाया जा सकता है.

सिद्धू ने कई दिनों से DGP और AG को मुख्यमंत्री चन्नी के साथ बदलने का मुद्दा उठाया है मगर 50 दिनों से कुछ नहीं किया गया है.

पिछले महीने सोनिया गाँधी को लिखे एक पत्र में सिद्धू ने पंजाब में चले आ रहे बहुत सारे मुद्दों पर न्याय की मांग की थी. सिद्धू ने यह भी सुझाव दिया था कि कैबिनेट में एक मझबी सिख, एक दोआब, एक दलित और दो पिछड़े वर्ग के मंत्रियों को नियुक्त करना चाहिए.

सोमवार को सिद्धू ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था जबकि सूत्रों का मानना है कि सरकार नए AG की नियुक्ति के लिए अधिसूचना की तैयारी में थी. उन्होंने विधानसभा चुनाव से दो महीनों पहले सरकार द्वारा रियायतों की घोषणा पर भी सवाल उठाया था. इस कदम ने कांग्रेस और चन्नी को राज्य के टॉप अधिकारी के लिए एक खाली जगह रखने की प्रक्रिया को रोकने के लिए उकसा दिया जबकि उस पद के लिए सिद्धू के पास भी एक कैंडिडेट था. सिद्धू के भाषण के बाद एपीएस देओल के इस्तीफा प्रक्रिया को रोक दिया गया था.

उन्होंने कहा कि उन्होंने राहुल गाँधी से सारी बातों पर चर्चा कर ली है और उनको जो भी चिंता थी वो अब सुलझा ली गई है.

पिछले महीने सिधू और राहुल की मुलाकात दिल्ली में होने के बाद पार्टी महासचिव प्रभारी हरीश रावत ने सूचित किया था कि सिद्धू ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है क्योंकि उन्हों भरोसा दिलाया गया था कि उनकी सारी चिंताएँ सुलझा दी जाएंगी.

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