नेहरू प्लेस, जिसको साउथ दिल्ली में कंप्यूटर से जुड़े चीजों के बाज़ार के रूप में तैयार किया गया था, आज उसकी हालत झुग्गी बस्ती जैसी हो गई है. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह बात वहां रहने की स्थिति , स्वच्छता और वहां के वातावरण को ध्यान में रखकर कही.
सोमवार को कोर्ट ने कहा कि रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों की संख्या को शहर के मस्टरपलान के प्रावधानों और कानूनों के अनुरूप होनी चाहिए. अगर मस्टरप्लान में 10 दुकानों पर 3-4 वेंडिंग साइट्स का प्रावधान है तो वेंडिंग साइट्स की संख्या उतनी ही होनी चाहिए.
स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के प्रावधान और शहर का टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन का प्रारूप अपने आप में बुनियादी प्रश्न खड़ा करता है. टाउन वेंडिंग कमेटी में विक्रेताओं कि संख्या 50% से अधिक है, अपने खुद के मामले में आप खुद कैसे जज हो सकते हैं?
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने सड़क विक्रेताओं से जुड़े मामले की सुनवाई में टीवीसी के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुरक्षा, स्वच्छता, साफ सफाई, आग से निपटने के उपाय और सड़क संबंधी कानूनों की देखभाल कौन करता है?
कोर्ट ने आगे कहा कि 10 वर्षों में दिल्ली को लंदन जैसा विकसित करने की बात कही जा रही है लेकिन ये संभव होगा कैसे जब कोई सही योजना ही नहीं है. बेंच ने यह भी कहा कि वेंडर्स के अधिकारों की वजह से आम आदमी के अधिकारों की अवहेलना नहीं की जा सकती.