गायघाट शेल्टर होम मामले में नया अपडेट

बिहार सरकार (Bihar Government) ने पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) को सूचित किया है कि गायघाट शेल्टर होम मामले की जांच एक महिला अधिकारी द्वारा की जाएगी, जो डीएसपी रैंक से नीचे की नहीं होगी.

इस महीने की शुरुआत में, पटना उच्च न्यायालय ने गायघाट शेल्टर होम मामले में स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें शेल्टर होम के एक कैदी ने आरोप लगाया कि महिलाओं को बेहोश करके अनैतिक कृत्यों के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया गया था.

3 फरवरी को, मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने किशोर न्याय निगरानी समिति, पटना उच्च न्यायालय द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया और अतिरिक्त मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार से जवाब मांगा था.

इसके अलावा, जब इस मामले को 11 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए उठाया गया, तो अदालत को सूचित किया गया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और वर्तमान में जांच जारी है.
इस पर, अदालत ने राज्य को दस दिनों की अवधि के भीतर जांच की प्रगति का संकेत देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा.

राज्य को एक गैर सरकारी संगठन, महिला विकास मंच की ओर से अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष वीणा मानवी @ वीना चौधरी के माध्यम से दायर किए गए 2022 के इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन नंबर 1 का जवाब देने के लिए भी निर्देशित किया गया था. इसे सुनवाई की अगली तारीख 25 फरवरी से पहले करने का निर्देश दिया गया है.

महत्वपूर्ण रूप से, यह मानते हुए कि पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए, न्यायालय ने सदस्य सचिव, बिहार राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन पीड़ितों को उचित कानूनी व्यवस्था प्रदान की जाए, इस तथ्य के बावजूद कि इस संबंध में उन्हें एक गैर सरकारी संगठन द्वारा समर्थित किया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला

इस महीने की शुरुआत में समिति ने 31 जनवरी, 2022 के एक समाचार पत्र की रिपोर्ट पर विचार करते हुए, उत्तर रक्षा गृह (आफ्टर केयर होम), गाय घाट, पटना के मामलों को गंभीरता से लिया, जहां 260 से अधिक महिलाओं को रखा गया है. समिति ने एक बेसहारा महिला के बारे में हाल ही में समाचारों पर चर्चा की, जिसने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य महिलाओं को बेहोश करके अनैतिक कृत्यों के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया गया था.
आरोप लगाया कि आफ्टर केयर होम में रहने वाले पीड़ितों को भोजन और बिस्तर की बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं और उनमें से कई को घर छोड़ने की भी अनुमति नहीं है. उसने आगे कहा कि अजनबियों को पीड़ितों के रिश्तेदारों के रूप में आने की इजाजत है जो ऐसी असहाय महिलाओं को अपने साथ लेकर जाते हैं. इससे उनके जीवन को और खतरा है.

इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने 3 फरवरी की घटना का स्वत: संज्ञान लिया था.

केस का शीर्षक – समाचार पत्र दिनांक   01.02.2022   की रिपोर्ट के मामले में आफ्टर केयर होम बनाम बिहार राज्य एवं अन्य.

● कुछ संदर्भ लाइव लॉ की वेबसाइट से लिया गया है.

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