किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं, मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता: कृषि मंत्री

संसद मे चल रहे शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा, मंत्रालय के पास किसान आंदोलन की वजह से किसी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है. ऐसे में मृतक किसानों को वित्तीय सहायता देने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

दरअसल किसान आंदोलन के मुद्दे पर विपक्ष लगातार सदन मे सरकार को घेरते आ रही है. विपक्ष ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर चले आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हुई. और सरकार से सवाल पूछा था कि सरकार के पास ऐसा कोई आंकड़ा है, जिसमें प्रभावित परिवारों का जिक्र हो या फिर उनकी मदद के लिए कोई प्रस्ताव हो. इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया कि आंदोलन की वजह से किसी किसान की मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. ऐसे में मुआवजा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है.

बता दें कि 11 दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया था और किसानों से इसके लिए माफी मांगी थी.  किसान संगठनों का दावा है कि आंदोलन के दौरान सिंघु, टिकरी और गाजीपुर सीमा पर लगातार कृषि कानूनों का विरोध करने वाले 700 से ज्यादा किसान अब तक जान गंवा चुके हैं. यह मौतें मुख्य रूप से मौसम की मार, गंदगी के कारण होने वाली बीमारियों और आत्महत्या के कारण हुई हैं. किसान संगठन अपनी शर्तों में एमएसपि की मांग से साथ-साथ आंदोलन की वजह जिन किसानों की मौत हुई है ऐसे किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.

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