मुख्यमंत्री खट्टर: खुले में ऐसा कार्यक्रम नहीं होना चाहिए, नमाज़ पढ़ने की प्रथा जो खुले में हुई है, ये क़तई भी सहन नहीं किया जाएगा.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि खुले में नमाज नहीं पढ़ी जानी चाहिए और इस प्रथा को “बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”. साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि गुड़गाँव में जहाँ-जहाँ पर खुले में नमाज़ पढ़ने के लिए अनुमतियां दी गई थीं उन्हें वापस ले लिया गया है.
मेट्रोपॉलिटन डिवेलपमेंट अथॉरिटी की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करने के क्रम में मुख्यमंत्री खट्टर ने बताया कि हमने पुलिस और उपायुक्त से कहा है कि इस मुद्दे को सुलझाना होगा. हर कोई अपने-अपने स्थान पर अपने भगवान को पूजता है. कोई नमाज पढ़ता है, कोई पाठ करता है, कोई पूजा करता है, हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है और धार्मिक स्थलों का निर्माण केवल इन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जाता है ताकि वहां पूजा-अर्चना की जा सके. इस तरह की प्रथा खुले में नहीं होनी चाहिए, यहां खुले में नमाज पढ़ने की यह प्रथा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
खट्टर ने कहा कि समुदाय के साथ चर्चा के बाद सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जाएगा. बातचीत के बाद पहले एक निर्णय लिया गया था, उस निर्णय के आधार पर कुछ स्थान आरक्षित किए गए थे, हमने अब इसे वापस ले लिया है. अब फिर से नए सिरे से बातचीत की जाएगी. किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए, लेकिन किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की जाएगी.
आपको बात दें साल 2018 में हिंदू और मुस्लिम समुदायों में खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर हुए विवाद के बीच 37 चिह्नित जगहों पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी गई थी. पिछले तीन महीने से खुले में नमाज अदा करने को लेकर विवाद चल रहा था जो अब थमता नजर आ रहा है. अब दोनों पक्षों ने गुरुग्राम के जिला उपायुक्त और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर आपसी सहमति बनाई है कि विवाद वाले स्थान जैसे कि सेक्टर-37, सेक्टर-47 और सरहौल गांव में नमाज अदा नहीं की जाएगी. इस पूरे मामले में हरिया के मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं.