असम से मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आ रही है. एक पद्म पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति पर गोद ली हुई बच्ची के साथ रेप करने का आरोप लगाया गया है. इस मामले में असम पुलिस द्वारा प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (पोक्सो) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. पीड़िता फिलहाल बाल गृह में विशेष पुलिस सुरक्षा की देखरेख में है.
मामले में पीड़िता की तरफ से बयान दर्ज किया गया है. अपने बयान में पीड़िता ने बताया है कि उसके पिता ने उसका एक साल तक यौन उत्पीड़न किया. वहीं एफआईआर होने पर पद्म पुरस्कार विजेता ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की. जिसके बाद 28 दिसंबर को उसे अंतरिम जमानत मिल गई थी. जस्टिस अरुण देव चौधरी ने कहा कि यह आरोपी गंभीर प्रकृति का है. लेकिन आरेपी के कामों और प्रतिष्ठा को देखते हुए बेल मंजूर की जाती है. इस मामले में अब 7 जनवरी को सुनवाई होगी.
17 दिसंबर को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की शिकायत के आधार पर असम पुलिस ने अगले ही दिन व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की. मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि हम इस मामले में कुछ भी टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
क्या है पॉक्सो एक्ट
पॉक्सो एक्ट का पूरा नाम प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है. इसके तहत, गलत नीयत से किसी बच्चे के शारीरिक अंगों को छूना या उससे ऐसा कराना जिसमें फिजिकल कॉन्टैक्ट होता हो, ये सभी चीजें यौन शोषण हैं. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. देश में बच्चियों के साथ बढती दरिंदगी को रोकने के लिए ‘पोक्सो एक्ट-2012’ में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी.