प्रदूषण के मामले में राष्ट्रीय राजधानी की राह पर बिहार की राजधानी पटना

एक ओर देश के ज्यादातर शहर प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. वहीं, बिहार की राजधानी पटना भी इस से अछूता नहीं रहा है. अब बिहार की राजधानी भी देश की राजधानी की राह पर बढ़ रही है. बीते शुक्रवार को पटना का एक्यूआई 300 को पार कर गया. शुक्रवार को पटना का एक्यूआई 308 पहुच गया जो गुरुवार से 27 अंक ज्यादा है. वहीं बढ़ते प्रदूषण को लेकर ना तो सरकार सख्ती दिखा रही है और ना ही नगर निगम के पास बढ़ते प्रदुषण से निपटने को पर्याप्त व्यवस्था ही है.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनलाइन सिस्टम के मुताबिक शुक्रवार रात 10 बजे पटना के तारामंडल के पास एक्यूआई लेवल 392 तक पहुच गया था वहीं गांधी मैदान के पास यह आंकड़ा 313 रहा. हरे-भरे इको पार्क के पास तो एक्यूआई लेवल 354 रिकॉर्ड किया गया. अब जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है वैसे-वैसे प्रदूषण के स्तर मे इजाफा हो रहा है.

पुरे पटना शहर में ना तो भवन निर्माण पर सरकारी फरमान सख्ती से लागू हो रहा है ना ही नगर निगम साफ़ सफाई को लेकर जागरूक दिख रही है. दैनिक भास्कर में छपे एक रिपोर्ट के मुताबिक पुरे पटना शहर की साफ़ सफाई के के लिए नगर निगम ने अब तक 18 रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी है. इनमें से चार मशीन ख़राब हैं. इस पर नगर निगम के अभियंता भी सीधे यही कहते हैं कि 14 रोड स्वीपिंग मशीनों से प्रमुख सड़कों की भी साफ़ सफाई पूरी नहीं हो पाती है.

सड़कों पर उड़ने वाले धूल से निजात के लिए नगर निगम द्वारा 13 स्प्रिंकल मशीने खरीदी गई हैं. इनमे से भी तीन मशीनें ख़राब हैं. ऐसे में पटना शहर में पानी का छिड़काव बेली रोड, बोरिंग रोड, वीरचंद पटेल पथ जैसे कुछ प्रमुख सड़कों के अलावा वीआईपी आवासों की तरफ ही हो रहा है. बाकी शहर सरकार की उदासीनता झेलने को मज़बूर है. विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी वातावरण का एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से नीचे रहे तो बहुत बेहतर माना जाता है. आपको बता दें , शून्य से 50 के बीच एक्यूआइ अच्छा, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से 500 के बीच को गंभीर श्रेणी में माना जाता है.

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