बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस केस पर एक नई बात सामने रखी, जिसमें शीर्ष अदालत ने सर्वोच्च अदालत द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति को रिपोर्टों पर स्वतंत्र जांच का आदेश दिया. इसमें भारत के पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक हस्तियों के फोन नंबर एक सूची में पाए गए थे, और कुछ इजरायली निगरानी फर्म एनएसओ समूह के ग्राहकों द्वारा निगरानी के लिए चुने गए थे.
राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया. वहीं उन्होंने तीन सवाल सामने रखे जिसमें उन्होंने बताया कि हम जानना चाहते हैं कि आखिर यह जो पेगासस की जासूसी है, उसकी आखिर कार किसने इसकी अनुमति दी? कौन -कौन इस टूल के तहत इसका शिकार हुए और इसमे किनका नाम शामिल हैं और अगर किसी अन्य देश के पास भी इसकी जानकारी हैं. आगर है, तो ऐसा क्यों? यह सवाल उन्होंने सामने रखे. इस के साथ हीं उन्होंने कहा कि यह पेगासस जासूसी “लोकतांत्रिक देश के लोगों की सोच को कुचलने की कोशिश है”.
कुछ सवालों के जवाबों की बारी आई तो उन्होंने कहा कि हमने सरकार से पहले भी इन बातों पर जवाब मांगा लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला ,हमनें विपक्ष के साथ मिलकर पार्लियामेंट को भी रोका. उनका कहना है कि देश में लोगों पर और भी कईं प्रकार के आक्रमण हो रहे. ये सिर्फ पेगासस पर उठाए गए सवाल नहीं हैं लेकिन ये जो पेगासस परियोजना कार्य में जिस प्रकार लोगों के निजी डेटा सामने आ रहे हैं, उससे यही साबित होता ही कि देश में आम लोगों की हीं नहीं, बल्कि कोई भी बड़े नेता या फिर सर्वोच्च न्यायलय के जज हीं क्यों न हो, जब इनके फ़ोन टैप हो रहे हो तो देश में किसी की भी निजी जानकारी सुरक्षित नहीं हैं .
एक जवाब के दौरान उन्होंने यह कहा कि यह “सिर्फ राजनीति को अपने नियंत्रण में रखने के लिए यह कार्य हो रहा है,और इससे लोगों को डराया व धमकाया भी जा रहा है, जिससे वे केवल सरकार के हीं इशारों पर काम करें.
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के इस जाँच कराने के आदेश कि सराहना करते हुए खुशी जतायी और उन्होंने पार्लियामेंट में फिरसे इस मुद्दे को उठाने की बात भी कही.
राहुल गांधी का कहना है कि उन्हें यह मालूम है कि बीजेपी इस मद्दे का विरोध जरूर करेगी लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे. पेगासस पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि “इस परियोजना के लिए देश के केवल दो व्यक्ति ही आदेश दे सकते हैं और वे माननीय प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री हैं, अगर देश के प्रधानमंत्री ने इस परियोजना का आदेश किसी अन्य देश के साथ मिलकर दिया है तो यह काफी खतरनाक हो सकता है ,और हमें यह जानने का पूर्ण रूप से अधीकार है कि आखिर ऐसा आदेश दिया हीं क्यों गया? और अगर दिया गया है तो क्यों? इस बात पर भी सरकार को अपनी सफाई पेश करनी चाहिए. कुछ लोगों का कहना था कि यह आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर दिया गया है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा में क्या देश के उच्च न्यायाधीश की निजी जानकारी और चुनाव आयोग का भी डेटा शामिल है? ऐसी कौन सी राष्ट्रीय सुरक्षा, जिसमें इन लोगो के डेटा सीधे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के आफिस तक पहुंच रहे हैं.
“क्योंकि प्रधानमंत्री देश से बढ़कर कभी भी नहीं हो सकते”
सरकार को इसपर अपनी बात रखनी चाहिए, अगर वो गलत नहीं है.यह एक आपराधिक व अवैध कार्य है, जिसे सरकार द्वारा ही चलाया जा रहा है. कर्नाटक में जब पेगासस का प्रयोग कर सरकारे गिरा दी गयी थी, तब हम इससे यह समझ सकते हैं कि यह कितना खतरनाक हो सकता है,\
” भारत सरकार राष्ट्र कि सोच पर हमला कर रही है”
एक तरफ राहुल गांधी कह रहे हैं कि सरकार में प्रधानमंत्री से जवाब चाहते हैं, तो वहीं दूसरी ओर वे यह भी बयान दे रहे हैं कि ,सरकार इसपर जवाब हीं नहीं दे सकती है, क्योंकि यह पेगासस का आदेश केवल दो व्यक्ति दे सकते हैं और अगर उन्होंने यह आदेश दिया हैं तो क्यों और यह एक आपराधिक कार्य है क्योंकि भारत सरकार द्वारा विपक्षी पार्टियों को जब पार्ल्यामेंट में हीं मौन कर दिया गया है. इस मुद्दे के साथ हीं उन्होंने ED, CBI और पार्लियामेंट में बहस की मंजूरी नहीं दी जा रही है, इस बात को भी सामने रखा. यह सिर्फ हिंदुस्तान के सोच को खत्म करने की साजिश चलाई जा रही है, और कुछ नहीं.