भारत के नागरिकों को एक बार फिर महंगाई की मार सता सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में अक्टूबर 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है. इसके बाद कयास लगाया जा रहा है कि इसके प्रभाव से भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि, देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हो रहा है.
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई,जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अक्टूबर 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स (बीसीएफ) 95.56 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. अक्टूबर 2014 में ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 96.16 डॉलर प्रति बैरल के साथ रिकॉर्ड हाई पर था. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की स्थिति में अमेरिका और यूरोपीय प्रतिबंधों की आशंका में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें सात साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं.
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के शॉक मॉडल के अनुसार, चालू फरवरी महीने के अंत तक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर पहुंचने के बाद अमेरिका और यूरोप में महंगाई करीब 0.5 फीसदी बढ़ जाएगी, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा. वहीं, जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी ने आगाह किया है कि कच्चे तेल का दाम 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से वैश्विक आर्थिक वृद्धि की गति को रोक देगी और महंगाई के स्तर को 7 फीसदी के पार तक पहुंचा देगी, जो अधिकांश मौद्रिक नीति निर्माताओं द्वारा निर्धारित लक्ष्य से करीब तीन गुना अधिक है.