स्किन-टू- स्किन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है. मामले के आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत तीन साल की सजा दी गई. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले में स्किन टू स्टिन टच के बिना भी पॉक्सो एक्ट लागू होता है.
क्या था मामला ?
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट, नागपुर बेंच की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में कहा था कि नाबालिग के अंग को बिना कपड़े हटाए छूना अर्थात कपड़े के ऊपर से छूना अपराध नहीं माना जाएगा जब तक कि आरोपी और पीड़िता के बीच सीधे तौर पर स्किन-से-स्किन टच न हो. यह कहते हुए बेंच ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को बरी कर दिया था. जिसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह नहीं कहा जा सकता कि बिना स्किन-टू-स्किन टच के यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा. इस अनुसार तो ग्लव्स पहनकर रेप करने वाले लोग अपराध से बच जाएंगे. गलत मंशा से कपड़े के ऊपर से शारीरिक अंग छूना भी यौन उत्पीड़न के दायरे मे आता है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया.
क्या है पॉक्सो एक्ट ?
पॉक्सो एक्ट का पूरा नाम प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट है. इसके तहत, गलत नीयत से किसी बच्चे के शारीरिक अंगों को छूना या उससे ऐसा कराना जिसमें फिजिकल कॉन्टैक्ट होता हो, ये सभी चीजें यौन शोषण हैं. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.