पटना में प्रदूषण चरम सीमा पर, जहरीली हवा में सांस लेना मुश्किल

आप साँस ले रहे हैं तो शुक्र मनाइए. मगर खुश होने की जरूरत नहीं है. पटना की हवा जहरीली हो रही है.
हमारे आसपास के वातावरण में ज़हरीले पदार्थों की बढ़ोत्तरी होते जा रही है. हवा में मौजूद धूल के कण, वाहनों का धुआँ, ईंट की भट्टी का काला धुआँ, कचरे का जलना और औद्योगिक निर्वहन पूरे भारत में एयर क्वालिटी इंडेक्स को बढ़ाने में भागीदार हैं.

2016 के अनुसंधान के अनुसार हर साल 1400 लाख लोग ‘WHO सेफ लिमिट’ के ऊपर की हवा में साँस लेते हैं. वायु प्रदूषण का हर साल 20 लाख लोगों की असमय मृत्यु में योगदान होता है. 2019 में भी 18 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण के कारण भारत में हुईं.

वैसे तो हर वर्ष दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स ज्यादा रहती है, परंतु इस वर्ष पटना के तेज़ी से बढ़ते हुए एयर क्वालिटी इंडेक्स को देखते हुए प्रतीत हो रहा है कि पटना इस बार दिल्ली से भी आगे निकलने वाला है. 2020 में यूपी और दिल्ली के बीच पड़ने वाला शहर गाजियाबाद वायु प्रदूषण में भारत में सबसे ऊपरी स्थान पर और दुनिया में दूसरे स्थान पर था.

03 नवंबर 2021 को 11:00 बजे पटना में सबसे ज्यादा एयर क्वालिटी इंडेक्स 263 थी और यह हर मिनट बढ़ते ही जा रही है. भले ही इस वक्त यह बाकी शहरों के नीचे है लेकिन अगर यह इसी दर से बढ़ता रहा तो सूची में सबसे ऊपर आने में इसे थोड़ा भी समय नहीं लगेगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की डेटा के मुताबिक पटना साल 2011 में ही भारत के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दूसरे स्थान पर आ गया था, जो कि दिल्ली के बाद था.

पटना के प्रदूषक PM2.5 की सांद्रता इस वक्त 75.2 µg/m3 है जो कि सामान्य PM2.5 स्तर के हिसाब से सबसे ज्यादा अस्वस्थ है.

IQAir के अनुसार वायु प्रदूषण ने 2021 में अब तक 2400 जानें ले चुकी है.

2 नवंबर 2021, मंगलवार के दिन धनतेरस का त्योहार था. और उसी दिन पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 203 हो गया था. अभी दिवाली का दिन आया भी नहीं है और बिहार में प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है. तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि दिवाली के दिन और उसके बाद छठ पर्व आने पर बिहार में प्रदूषण की क्या स्थिति होगी. 

पटना में एयर क्वालिटी इंडेक्स में लगातार वृद्धि हर उम्र के लोगों के लिए जानलेवा साबित होने वाली है. आने वाले दिवाली के त्योहार में तरह-तरह के पटाखों के फूटने से निकलने वाला धुआं हमारे श्वास अंगों व फेफड़ों के लिए काफ़ी ज़्यादा हानिकारक होता है. पटाखों में जानलेवा तत्व जैसे कि मेटल सीसा, बेरियम, कैडमियम और आर्सेनिक पाए जाते हैं. लेकिन या तो लोगों को इन चीजों के बारे में जानकारी नहीं होती या अपने मनोरंजन के होड़ में यह सब बातें भूल जाते हैं.

वायु प्रदूषण से बचने के लिए और अपनों को बचाने के लिए हमें कई बातों को दिमाग में रखते हुए हल निकालना होगा. सबसे पहली चीज़, जो कि हर समस्या की जड़ है वह है प्लास्टिक. प्लास्टिक से बने सामानों का इस्तेमाल हमें सबसे पहले बिल्कुल बंद करने की जरूरत है. प्लास्टिक वातावरण के लिए सबसे अधिक हानिकारक होता है. चाहे वह वायु, जल या थल प्रदूषण हो, तीनों में प्लास्टिक भागीदार होता है. औद्योगिक तौर पर हमें वह सामान इस्तेमाल करने चाहिए जो कि वायु प्रदूषण नहीं फैलाते हैं. और सबसे बड़ी बात यह है कि बाकियों को तो प्रभावित करना मुश्किल है मगर हमें खुद की ओर से पटाखों का उपयोग बंद कर देना चाहिए. अगर संभव हो तो हमें दूसरों में भी यह जागरुकता फैलाने का प्रयास बखूबी करना चाहिए.

अगर एक परिवार के सारे सदस्य भी इन कार्यो में सफल हो जाते हैं तो उनसे प्रेरित होकर वैसे कई परिवार भी खुद को बदलने की कोशिश कर सकते हैं और इस तरह धीरे-धीरे हम एक साफ़ वातावरण में साँस ले पाएंगे. याद रखें कि सामुहिक रूप से प्रयास करने पर बहुत कुछ बहुत हद तक संभव हो सकता है.

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