रेलवे इंजीनियर ने बेच दिया इंजन, आरपीएफ के अलावे रेलवे विजिलेंस टीम भी करेगी जांच

समस्तीपुर लोको डीजल शेड के एक इंजीनियर ने मंडल यांत्रिक अभियंता-डीएमई द्वारा जारी एक जाली आदेश दिखाकर रेलवे मंडल के पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास सालों से खड़ी लाइन का एक पुराना वाष्प इंजन स्क्रैप माफियाओं के हाथ बेच डाला. कथित तौर पर अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की मिलीभगत से इस पुरे घटना को अंजाम दिया गया है. मामले के उजागर होने के बाद अब रेलवे सुरक्षा बल के अलावे रेलवे की विजिलेंस टीम भी इसकी जांच करेगी.

क्या है घटना?
  • समस्तीपुर डीजल शेड के इंजीनियर राजीव रंजन झा ने विभागीय मिलीभगत के साथ डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर-डीएमई संजय पासवान द्वारा ज़ारी एक फ़र्ज़ी आदेश को दिखाकर पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास सालों से खड़ी लाइन का एक पुराना वाष्प इंजन बेच दिया. बीते 14 दिसंबर को इंजीनियर राजीव झा, हेल्पर सुशील यादव के साथ पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन पहुंचा और कर्मचारियों को गैस कटर से इंजन काटने का आदेश दिया तो पूर्णिया आउटपोस्ट प्रभारी एमएम रहमान ने उन्हें रोका. इंजिनियर ने डीएमई द्वारा जारी एक जाली आदेश दिखाते हुए आरपीएफ को लिखित रूप से मेमो दिया, जिसमें लिखा हुआ था कि वाष्प इंजन के स्क्रैप को पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से उठाकर समस्तीपुर के स्टोर रूम में भेजना है.
  • अब मामला उजागर ना हो इसके लिए डीजल शेड पोस्ट पर कार्यरत एक दरोगा की मिलीभगत से शेड के रजिस्टर में एक पिकअप वैन स्क्रैप के अंदर आने का फ़र्ज़ी एंट्री भी करवा दिया गया. अगले दिन ऑन ड्यूटी सिपाही संगीता कुमारी ने स्क्रैप लोड पिकअप की एंट्री रजिस्टर में दिखी मगर उन्हें कहीं भी स्क्रैप नहीं दिखा. संगीता ने समझदारी दिखते हुए तत्काल इसकी जानकारी अधिकारियों को दी.
  • संगीता के रिपोर्ट पर जांच शुरू शुई तो पूरा का पूरा इंजन बेचने का मामला सामने आ गया. जांच में पता चला कि स्क्रैप के परिवहन के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया था और इंजीनियर झा के पास जो पत्र था, वह फर्जी था. इसमें इंजीनियर राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव समेत सात लोगों को आरोपी बताया गया है. साथ ही इंजीनियर, हेल्पर और दरोगा वीरेंद्र द्विवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. फिलहाल मामला उजागर होने के बाद से इंजीनियर साहब फरार हैं.
आला अधिकारियों ने क्या कहा?

घटना के बाद आरपीएफ ने जांच शुरू की तो पूछताछ के दौरान डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर-डीएमई संजय पासवान ने कहा कि इंजन को स्क्रैप के रूप में लाने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. कर्मी राजीव रंजन द्वारा दिखाया गया पत्र फर्जी है. सिपाही द्वारा सूचना मिलने के बाद स्क्रैप की खोज हुई. मगर दो दिनों तक खोज के बाद भी कहीं स्क्रैप लोड वैन नहीं मिला. जिसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. आरोपियों को आरपीएफ द्वारा ट्रैक किया जाएगा और रेलवे संपत्ति अधिनियम के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

वहीं मंडल सुरक्षा आयुक्त एके लाल ने कहा है कि प्रारंभिक जांच के दौरान, पत्र फर्जी पाया गया और शेड ने भी इस तरह के पत्र जारी करने से इनकार किया. साथ ही उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद से समस्तीपुर मंडल के अंतर्गत सभी स्टेशनों पर रेल संपत्ति की निगरानी आरपीएफ कर रही है.

संदेह के घेरे में आरपीएफ, विजिलेंस की एंट्री

अब इस मामले को आरपीएफ के आईजी खुद देख रहे हैं. बावजूद इसके इसमें आरपीएफ की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, रेलवे अधिकारियों के बीच चर्चा है कि किसी भी स्क्रैप की रेलवे में नीलामी होती है तो विभागीय स्तर पर आरपीएफ को इसकि सूचना पहले से रहती है. स्क्रैप उठाए जाने के समय भी आरपीएफ का रहना जरूरी है. बिना किसी सूचना, बिना किसी पत्र के मिलने के बावजूद पूर्णिया आउटपोस्ट के अधिकारियों ने स्क्रैप का उठाव होने दिया. वहीं, आरपीएफ के दरोगा वीरेंद्र द्विवेदी की मिलीभगत भी सामने आयी. इसके बाद से इस मामले में डीजल शेड के इंजीनियर के अलावा आरपीएफ की भूमिका को संदेह से देखा जा रहा है.

आपको बता दें, जांचकर्ताओं ने अभी तक उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया है जिसने पुराने इंजन को कबाड़ के रूप में खरीदा था. मामला खुलते ही इंजीनियर भी फरार हो गया. इस मामले में आरपीएफ आईजी एस मयंक खुद नजर तो बनाए रखे हैं. साथ ही अब रेलवे की वेजिलेंस टीम भी इस मामले कि समानांतर जांच करेगी.

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