राजस्थान की कैबिनेट का विस्तार किया गया, 15 मंत्रियों ने लिया शपथ

पिछले कई रोज से राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल की अटकलें चल रही थी. रविवार को 15 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई जिससे मंत्रिपरिषद की संख्या 30 पहुँच गई. शपथ लेने वाले विधायकों में 11 को मंत्री के रूप में और 4 को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया.

राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में सभी नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. 11 कैबिनेट मंत्रियों में ममता भूपेश, भजन लाल जाटव और टिकाराम जुली शामिल है जो पहले राज्यमंत्री थे.

जुलाई 2020 के विद्रोह के बाद तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ बर्खास्त किए गए दो पूर्व मंत्रियों, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा ने राज्य मंत्रिमंडल में वापस जगह दिया गया है. कैबिनेट में शामिल अन्य लोगों में हेमाराम चौधरी, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, रामलाल जाट, महेश जोशी, गोविंद राम मेघवाल और शकुंतला रावत भी है.

समारोह में विधायक जाहिदा खान, झुंझुनूं के विधायक बृजेंद्र सिंह ओला, दौसा के विधायक मुरारी लाल मीणा और उदयपुरवाटी के विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा को भी शपथ दिलाई गई, जो बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुने गए थे और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए थे.

नए मंत्रिमंडल में तीन महिलाएं और चार दलित शामिल है. पिछले साल राजनीतिक संकट के दौरान कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले किसी भी निर्दलीय विधायक को मंत्री के रूप में शामिल नहीं किया गया था. 2018 में सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस सरकार का यह पहला कैबिनेट फेरबदल है.

विस्तार के बाद, मंत्रिपरिषद में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा 19 कैबिनेट मंत्री और 10 राज्यमंत्री शामिल है.

हालांकि अशोक गहलोत ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले शनिवार को ही सभी मंत्रियों से त्याग पत्र एकत्र कर लिया था. लेकिन उन्होंने उनमें से केवल तीन के कागजात राज्यपाल को स्वीकृति के लिए सौंपे. गोविंद सिंह डोटासरा, हरीश चौधरी और रघु शर्मा को कांग्रेस में “एक आदमी, एक पद” के फार्मूले के अनुसार हटा दिया गया था. तीनों पार्टी में आधिकारिक पदों पर हैं.

श्री गहलोत ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद संवाददाताओं से कहा कि जहां मंत्रिमंडल में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया है, वहीं 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए विभागों का आवंटन किया जाएगा.

टोंक विधायक सचिन पायलट के विद्रोह से कांग्रेस सरकार की स्थिरता को खतरा था. उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कैबिनेट फेरबदल ने एक “सकारात्मक संदेश” भेजा था और इस बात से इनकार किया कि पार्टी में कोई गुटबाजी है. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों, जैसे कि दलितों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व, को मंत्रिमंडल विस्तार में “व्यापक दृष्टिकोण” के साथ संबोधित किया गया था.

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