राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है. वायु प्रदूषण के बढ़ने का एक प्रमुख कारण है राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर के राज्यों जलायी जाने वाली पराली.
हिंदुस्तान टाइम्स पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक 1 अक्टूबर से अब तक दो एनसीआर राज्यों पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कम से कम 50,000 घटनाएं दर्ज की गई है. आश्चर्य की बात ये है कि इन राज्यों में पराली जलाने के एक भी मामले में -प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है.
इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि 9 नवंबर तक सिर्फ पंजाब में पराली जलाने के 49,273 मामले थे. उत्तर प्रदेश में ये संख्या 2,172 थी. इन दोनों राज्यों में पिछले साल पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बावजूद भी यहाँ एक भी मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है. जो इन राज्य सरकारों की प्रदूषण नियंत्रण के प्रति उदासीनता को दर्शाती है.
हरियाणा में 70 प्राथमिकी
पराली जलाने के सबसे अधिक मामले पंजाब के बाद हरियाणा से ही होते हैं. 9 नवंबर तक यहाँ पराली जलाने के 6,929 मामले हुए हैं. हरियाणा पुलिस के अधिकारियों के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि इस मामले में प्राथमिकी की संख्या की जानकारी सभी जिलों से मांगी गई है. हरियाणा के एक जिला करनाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार वहाँ 70 प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
आगामी चुनाव के कारण सावधान है सरकार
पंजाब और यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव है जिसके कारण सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती. पंजाब में एक डिप्टी कमिश्नर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि
पुलिस अब मूक दर्शक बनी हुई हैं. सरकार की ओर से किसी भी किसान पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के सख्त आदेश है.
जाहीर है अगले विधानसभा के लिए किसान प्रमुख रूप से वोटबैंक है. सरकार को किसानों का विरोध पहले से भी झेलना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार किसानों के प्रति सख्त कार्रवाई कर के अपना वोट नहीं गंवाना चाहेगी.
2019 में पंजाब में 1,737 प्राथमिकी दर्ज हुई थी जो 2020 में गिरकर 48 हो गई और इस साल अभी तक ये संख्या शून्य है. ऊपर उद्धृत अधिकारी ने ही ये भी बताया था कि पिछले साल भी सरकार ने पराली के मामले में नरमी बरती थी क्योंकि अगस्त 2020 में किसानों ने नए कृषि कानूनों का विरोध शुरू कर दिया था.
पराली की आग अल्ट्रा-फाइन पीएम 2.5 प्रदूषकों के सबसे बड़े हिस्से को बढ़ावा देती है. जो हर साल दिल्ली और आसपास के इलाकों मे वायु प्रदूषण को बढ़ा देती है.