समस्तीपुर स्टीम इंजन मामला: विभागीय लापरवाही या मिलीभगत?

बीते दिनों, समस्तीपुर लोको डीजल शेड के एक इंजीनियर ने मंडल यांत्रिक अभियंता-डीएमई द्वारा जारी एक जाली आदेश दिखाकर रेलवे मंडल के पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास सालों से खड़ी लाइन का एक पुराना स्टीम इंजन स्क्रैप माफियाओं के हाथ बेच डाला था. मामला उजागर होने के बाद बात आग की तरह फैल गई. जल्द ही रेलवे सुरक्षा बल के अलावे रेलवे की विजिलेंस टीम ने जांच शुरू कर दी. अब जैसे-जैसे जांच बढ़ रही है, वैसे-वैसे मामले की परतें भी खुल रही हैं.

स्क्रैप ढोने वाला ट्रक मिला, स्क्रैप नहीं!

बुधवार को रेल इंजन का स्क्रैप ढोने वाले दो ट्रकों को आरपीएफ पुलिस ने अपने कब्जे में लिया. ट्रक को ड्राइवर ने खराब कर बख्तियारपुर के चकदौलत लखनपुरा गांव में लावारिस छोड़ दिया था. आरपीएफ पुलिस ने दोनों ट्रकों को मैकेनिक बुलाकर ठीक करवाया और पूर्णिया ले गई. बनमनखी आरपीएफ के इंस्पेक्टर बीपी मंडल ने बताया कि पुलिस ट्रक के मालिक शिशुपाल सिंह व उसके दोनों ड्राइवरों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है. कृष्णकांत ड्राइवर की गिरफ्तारी के बाद ही भाप इंजन का स्क्रैप कहां बेचा गया है, इसकी जानकारी मिलेगी. इसके अलावे एक पिकअप वैन की तलाश अभी भी की जा रही है.

आरोपियों को बुलाया गया था आरपीएफ पोस्ट, नहीं किया गया गिरफ्तार!

वहीं रेलवे विजिलेंस टीम की जांच में जो बातें सामने आई हैं वो चौकाने वाले हैं. रेलवे विजिलेंस टीम की जांच के अनुसार मामले में शुरू से ही लापरवाही बरती गई है. 15 दिसंबर की सुबह डीजल शेड की वाहन एंट्री रजिस्टर में दो ट्रक स्कैप आने संबंधी सूचना दर्ज की गई. लेकिन 16 दिसंबर तक ट्रक डीजल शेड नहीं पहुंचा तो समस्तीपुर आरपीएफ पोस्ट पर डीजल शेड के सीनियर सेक्शन इंजीनियर राजीव रंजन झा और हेल्पर सुशील कुमार यादव को बुलाया गया था. मामले में दोनों के शामिल होने की जानकारी हो जाने के बाद भी इंजीनियर और कर्मी को नहीं रोका गया. अगर उसी वक्त इंजीनियर व हेल्पर को हिरासत में ले लिया गया होता तो रेल इंजन का स्क्रैप बरामद हाे जाता.

आरपीएफ की भूमिका संदिग्ध!

शुरू से ही इस मामले में आरपीएफ की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. पूर्णिया कोर्ट स्टेशन चौकी के आरपीएफ कर्मी शक के दायरे में हैं. सूत्रों के मुताबिक, रेलवे अधिकारियों के बीच चर्चा है कि किसी भी स्क्रैप की रेलवे में नीलामी होती है तो विभागीय स्तर पर आरपीएफ को इसकि सूचना पहले से रहती है. स्क्रैप उठाए जाने के समय भी आरपीएफ का रहना जरूरी है. बिना किसी सूचना, बिना किसी पत्र के मिलने के बावजूद पूर्णिया आउटपोस्ट के अधिकारियों ने स्क्रैप का उठाव होने दिया. वहीं, आरपीएफ के दरोगा वीरेंद्र द्विवेदी की मिलीभगत भी सामने आयी. इसके बाद से इस मामले में डीजल शेड के इंजीनियर के अलावा आरपीएफ की भूमिका को संदेह से देखा जा रहा है.

मामला के सामने आने के बाद से ही लोगों की जुबान पर अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की मिलीभगत से इस पुरे घटना को अंजाम देने की बातें कही-सुनी जा रही थी. वहीं अब विभागीय लापरवाही खुलकर सामने आ चुकी है. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अब आरपीएफ खाक छान रही है. इंजीनियर तथा अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह टीम छापेमारी कर रही है.

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