सासाराम रेलवे स्टेशन को ‘ए श्रेणी’ एवं ‘आदर्श स्टेशन’ का दर्जा प्राप्त होने के बाद भी पर्याप्त सुविधाओं की कमी होने के कारण यात्रियों को परेशानियों को सामना करना पड़ता है.
2007 में आरा-सासाराम रेलखंड पर ट्रेन परिचालन शुरू होने के बाद रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं की दरकार और बढ़ गई है. आज तक अतिरिक्त टिकट काउंटर और पार्किंग का निर्माण प्रस्तावित होने के बावजूद भी नहीं किया जा सका है, जिसका असर रेलवे के राजस्व पर भी पड़ रहा है. आरा व पटना जाने वाले यात्रियों को टिकट लेने के लिए या तो दक्षिण तरफ स्थित काउंटर पर जाना पड़ता है या फिर जल्दबाजी में बगैर टिकट के ही उन्हें यात्रा करनी पड़ती है. स्टेशन के उत्तर तरफ आरा-सासाराम रेलखंड के लिए अतिरिक्त टिकट काउंटर व पार्किंग की मांग की जाती रही है.
घाटे में चलने वाले एक दर्जन स्टेशन-हाल्ट बंद पड़े है
97 किलोमीटर लंबे आरा-सासाराम रेलखंड पर घाटे में चलने वाले एक दर्जन स्टेशन व हाल्ट को दो वर्ष पूर्व रेलवे ने स्थाई रूप से बंद कर दिया है यही नहीं कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान बंद आरा-सासाराम व आरा-डीडीयू पैसेंजर ट्रेन का परिचालन बिना किसी सूचना के कभी बंद तो कभी शुरू कर दिया जाता है.रेलवे ने जिन स्टेशन-हाल्ट को दो साल पूर्व बंद किया, उसमें रोहतास के मोकर, अगरेर, खैराडीह, चनका, शिवपुर, समहुता, शहीद बाबा, बैरी, भोजपुर-रोहतास बार्डर, जबकि भोजपुर जिला के झारखंड महादेव, उदवतंनगर, हसनबाजार व सेमरांव शामिल है.
क्या कहते हैं लोग ?
गोपालगंज मोहल्ला निवासी अविनाश कुमार, पंजाबी मोहल्ला के देवेंद्र कुमार, अरविद सिंह, बृज कुमार समेत अन्य ने कहा कि आरा-पटना जाने के लिए अलग से टिकट काउंटर नहीं होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. टिकट के लिए फुट ओवर ब्रिज को पार कर दूसरे तरफ जाना पड़ता है. टिकट लेकर प्लेटफार्म पर आने में ट्रेन छूट जाती है. इन सारी समस्याओं को रेलवे के अधिकारी जानते हुए भी नजरअंदाज कर रहे हैं.