सत्यपाल मलिक बीजेपी के लिए नया सिरदर्द बन गए हैं?

वरुण गांधी और सुब्रमण्यम स्वामी के बाद सत्यपाल मलिक बीजेपी के उन लोकप्रिय नेताओं में शामिल हो गए हैं जो पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान देने के कारण पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकते है. ऐसे में बीजेपी वरुण और सुब्रमण्यम की ही तरह सत्यपाल मलिक को भी राजनीतिक किनारे की राह दिखाती है या उनकी बातों पर अमल करती है ये देखना बेहद दिलचस्प होगा

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को किसान आंदोलन, जम्मू-कश्मीर और लखीमपुर खीरी मामले में जो बयान दिए हैं, उससे बीजेपी के लिए असहज स्थिति बन गई है. इन तीनों ही मुद्दे पर बीजेपी की सरकार को विफल साबित करते हुए उन्होंने मोदी सरकार को ये अल्टिमेटम भी दे दिया कि सरकार अगर किसानों के हित में निर्णय नहीं लेती है तो अगली बार उनकी सरकार नहीं आ पाएगी.

मोदी और साह का मिजाज आसमान में?

इशारों ही इशारों में मोदी और अमित साह पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि “सरकार का मिजाज थोड़ा आसमान में हो जाता है. उन्हें दिखता नहीं है कि इनकी तकलीफें क्या है. लेकिन वक्त आता है जब उन्हें देखना भी पड़ता है और सुनना भी पड़ता है.

दुबारा नहीं आ पाएगी ये सरकार – सत्यपाल मलिक

वरुण गांधी के बाद सत्यपाल मलिक ने भी बीजेपी की नीति के विपरीत जाकर किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि अगर किसानों की बात नहीं मानी गई तो ये सरकार दुबारा नहीं आएगी.

बीजेपी का कोई लीडर मेरठ के किसी गांव में नहीं घुस सकता?

किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी की हिंसक घटना का यूपी चुनाव पर कितना प्रभाव पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में मलिक ने कहा कि ” मैं तो मेरठ का हूँ और मेरठ के किसी गांव में बीजेपी का कोई नेता नहीं घुस सकता. सरकार ये बात कभी नहीं समझती क्योंकि वो बहुत घमंड में होती है और जब तक वो समझती है तब तक सब सत्यानाश हो चुका होता है. उनको जो सलाह देते हैं वो बहुत गलत सलाह देते हैं.”

किसानों के लिए मोदी-साह से झगड़ा

सत्यपाल मलिक ने कहा कि वो किसानों के लिए मोदी और अमित साह से कई बार लड़ चुके हैं और उन्हें बता चुके हैं कि वो गलत कर रहे है.

लखीमपुर खीरी मामले में भी उन्होंने मुखरता से जवाब देते हुए कहा कि केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी उसी दिन होनी चाहिए थी. उन्होंने ये भी कहा कि अजय मिश्रा तो मंत्री बनने के भी लायक नहीं है.

जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उनके राज्यपाल रहते श्रीनगर में तो क्या उसके 50-100 किलोमीटर के आसपास भी आतंकी नहीं फटक पाते. लेकिन अब तो वो राज्य में हत्याएं कर रहे हैं.

फिलहाल मलिक किसान और सरकार के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार है और प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उन्हें सलाह देना चाहते हैं. लेकिन सवाल ये है कि इतना विवाद खड़ा करने के बाद प्रधानमंत्री उनसे मिलेंगे या उन्हें नजरंदाज करेंगे?

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