बिहार के शेल्टर होम में यौन कारोबार का मामला फिर से प्रकाश में आया है. इस बार राजधानी पटना स्थित गायघाट के उत्तर रक्षा गृह का मामला सामने आया है. रक्षा गृह से भागी एक लड़की ने आश्रय गृह की अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वहां लड़कियों को नशे का इंजेक्शन देकर यौन शोषण करने पर मजबूर किया जाता है.
क्या आरोप लगाए गए हैं?
रक्षा गृह से भागी लड़की का वायरल वीडियो में आरोप लगाया है कि आश्रय गृह से लड़कियों की सप्लाई की जाती है. गायघाट स्थित उत्तर रक्षा गृह से भागी लड़की का अधीक्षक पर आरोप है कि यौन शोषण से मना करने पर लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता है. उसे खाना तक नहीं दिया जाता है.
वायरल वीडियो में क्या कहा लड़की ने!
वायरल वीडियो में पीड़ित लड़की का कहना है कि रक्षागृह की अधीक्षिका लड़कियों को बाहर भेजती हैं. उनका यौन शोषण कराया जाता है. रिमांड होम में रहने वाली लड़कियों का शारीरिक-मानसिक शोषण किया जाता है. साथ ही उन्हें बाहर लोगों के पास भेजा जाता है और बाहर के लोग भी अंदर आते हैं.

लड़की ने यह भी कहा कि उसने तंग आकर खुदकुशी का भी प्रयास किया था. उसने बताया कि आश्रय गृह में कई बाहरी लोग आकर लड़कियों को ले जाते थे. उसने आगे कहा कि उत्तर रक्षा गृह में एक बांग्लादेशी महिला को मरने के लिए मजबूर कर दिया गया. शेल्टर होम में कई बार कई बार फर्जी परिजन बनाकर पैसे लेकर महिलाओं और लड़कियों को बाहर भेज दिया जाता है.’ समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार के कहा है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद ही आगे कुछ कहा जाएगा.
पहले भी आ चुका है मामला
इससे पहले बिहार के मुजफ्फरपुर में वर्ष 2018 में शेल्टर गृह में अनैतिक कार्यों का मामला सामने आ चुका है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में किशोरियों के यौन शोषण और हत्या मामले में पहली बार 31 मई 2018 को सामाजिक कल्याण विभाग के सहायक निदेशक ने मुजफ्फरपुर में महिला थाने में एफआईआर कराई थी. 26 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने बालिका गृह कांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की. बाद में विभिन्न महिला संगठनों के आंदोलन के बदौलत आरोपी को सजा भी हुई थी.
महिला संगठनों ने न्यायिक जांच की मांग की
महिला संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. महिला संगठनों ने कहा कि आरोप लगाने वाली महिला गायघाट रिमांड होम में रह चुकी है इसलिए उसकी बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. संगठनों ने मांग की है कि इस मामले की हाई कोर्ट के न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराई जाए. महिला संगठनों ने कहा है कि सरकार इस बात की गारंटी करे कि आरोप लगाने वाली महिला भयमुक्त और सुरक्षित रहे.