सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी और नीट यूजी काउंसलिंग आरक्षण मामले 2021 को हरी झंडी दे दी है. कोर्ट ने 2021-22 के सत्र के लिए 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को बरकरार रखा है. इसके साथ ही ईडब्लूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी इस वर्ष प्रभावी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कल यानि गुरुवार की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश हित में काउंसलिंग का प्रोसेस जल्द शुरू किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद काउंसलिंग का रास्ता अब साफ हो गया है. साथ ही यह भी साफ हो गया है कि नीट पीजी और नीट यूजी काउंसलिंग में ओबीसी को 27 फीसदी का आरक्षण मिलेगा. साथ ही ईडब्लूएस छात्रों को भी इसी सत्र से आरक्षण का फायदा मिलेगा. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि नीट पीजी 2021 के लिए विस्तृत ईडब्ल्यूएस पैमाने पर एक अंतरिम आदेश की आवश्यकता है. इसे प्रस्तुत करने और आदेश को तैयार करने में कुछ समय लगेगा. तब तक नीट पीजी ईडब्लूएस और ओबीसी कोटा के लिए वर्तमान पैमाने वैध माने जाएंगे.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हम पांडे समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हैं कि ईडब्ल्यूएस के लिए जो मानदंड निर्धारित किए गए हैं, उनका उपयोग 2021-20 22 के लिए किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रवेश प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न ना हो. साथ ही नीट पीजी 2021 और नीट यूजी 2021 के आधार पर काउंसलिंग, 29 जुलाई 2021 के नोटिस द्वारा प्रदान किए गए प्रस्ताव को प्रभावी करते हुए आयोजित की जाएगी, जिसमें अखिल भारतीय कोटा के तहत ओबीसी श्रेणी के लिए 27% आरक्षण और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10% आरक्षण शामिल है.
सुप्रीम ने बताया कि कार्यालय ज्ञापन 2019 द्वारा अधिसूचित ईडब्ल्यूएस के निर्धारण के मानदंड का उपयोग ईडब्ल्यूएस श्रेणी की पहचान करने के लिए किया जाएगा जो नीट यूजी और नीट पीजी 2021 परीक्षाओं के लिए उपस्थित हुए थे. भविष्य के लिए संभावित रूप से ईडब्ल्यूएस की पहचान के लिए पांडे समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों की वैधता याचिकाओं के अंतिम परिणामों के अधीन होगी. इसके साथ ही अब याचिका को मार्च 2022 के तीसरे सप्ताह में पांडे समिति द्वारा अनुशंसित ईडब्ल्यूएस मानदंड की वैधता पर अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हमने नीट पीजी और यूजी में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की काउंसलिंग की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए. क्योंकि देश में फिलहाल रेजिडेंट डॉक्टर्स यानि ट्रेनिंग पीरियड के डॉक्टर की भारी कमी है.
नीट काउंसलिंग में देरी की वजह से नए सत्र के एडमिशन अटके हुए थे. देश भर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हाल ही में नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि मौजूदा स्थिति में डॉक्टरों की तत्काल आवश्यकता है. इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से नीट पीजी काउंसलिंग मामले में जल्द सुनवाई करने की मांग की थी.

क्या था मामला
आपको बता दें यह मामला नीट में प्रवेश के अखिल भारतीय कोटा में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने के केंद्र के फैसले की वैधता के खिलाफ चुनौती के संबंध में है. इस मामले की शुरुवात 29 जुलाई को हुई थी जब केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की. जिसमें यूजी और पीजी चिकित्सा कोर्स में वर्तमान सत्र 2021-22 से अखिल भारतीय कोटा में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण और ईडब्ल्यूएस के लिए 10% आरक्षण की शुरुआत की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस कट-ऑफ निर्धारित करने के लिए केंद्र द्वारा अपनाई गई 8 लाख रुपये की सकल वार्षिक आय सीमा पर संदेह जताया था. जिसके बाद अक्टूबर माह में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नीट काउंसलिंग शुरू नहीं होगी, जब तक ईडब्ल्यूएस ओबीसी मुद्दे पर फैसला लंबित है. 25 नवंबर को, केंद्र ने ईडब्ल्यूएस के मानकों पर फिर से विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की और इस मुद्दे की जांच के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 6 जनवरी, 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया था. पुनः 6 जनवरी को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.