सोमवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी-बॉम्बे को एक दलित छात्र को दाखिला देने का आदेश दिया था. यह दलित छात्र उत्तर प्रदेश के सुदूर गांव का रहने वाला है और तकनीकी समस्याओं की वजह से अपनी फीस तय समय-सीमा के अंदर नहीं भर पाया था. सुप्रीम कोर्ट ने अब आईआईटी बॉम्बे को आदेश दिया है कि इस छात्र को अगले 48 घंटों के अंदर दाखिला दिया जाए.
छात्र क्रेडिट कार्ड काम नहीं करने की वजह से अपनी फीस जमा नहीं कर पाया था. जिस वजह से वह सीट पाने से चूक गया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट दलित छात्र के बचाव में आगे आया है. आइआइटी के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोई भी सीट खाली नहीं है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से स्थिति के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए एक्स्ट्रा सीट देने को कहा है.
आपको बता दें छात्र 31 अक्टूबर को साइबर कैफे में फ्रॉम भरने के बाद पैसे जमा करने में असफल रहा था. जिसके बाद वह खड़गपुर आईआईटी गया लेकिन वहां अधिकारियों ने फीस स्वीकार करने से मना कर दिया था. इसके बाद यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट गया लेकिन हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता है. अदालत को कभी- कभी कानून से ऊपर उठकर भी कदम उठाना चाहिए, क्योंकि कौन जानता है कि आगे चलकर 10 साल बाद वह हमारे देश का नेता बन सकता है. कोर्ट ने आईआईटी को आदेश दिया कि छात्र को सिविल इंजीनियरिंग बीटेक कोर्स में बुधवार से पहले दाखिला दिया जाए.