राजकोषीय नुकसान के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बालू खनन से रोक हटाया

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बालू खनन पर लगे रोक को हटाते हुए बिहार सरकार को राज्य खनन निगम के माध्यम से बालू खनन करने की अनुमति दी है. कोर्ट ने कहा कि राज्य में वैध बालू खनन पर रोक लगाने और अवैध बालू खनन के बढ़ावे से राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है.

हालांकि शीर्ष अदालत ने बालू खनन के लिए पर्यावरण सुरक्षा के लिए तय मानकों को अनिवार्य रूप से लागू करने की भी बात कही.

ज्ञात रहे कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण अर्थात एनजीटी ने 14 अक्तूबर 2020 को एक आदेश से बिहार में बालू खनन पर रोक दिया था. अपने आदेश में उन्होंने कहा था कि जब तक राज्य विशेषज्ञ संस्तुति प्राधिकार और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन समिति बालू खनन के लिए जिला सर्वे रिपोर्ट को मंजूरी नहीं देती है तब तक खनन नहीं किया जाएगा.

अवैध खनन को रोकने में विफल रही सरकार

इस आदेश के खिलाफ सूबे की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हालांकि इस प्रतिबंध के दौरान बालू के अवैध खनन को रोकने में राज्य की सरकार पूरी तरह से विफल रही है. जिसके कारण अवैध खनन से राज्य के खजाने को लगातार नुकसान पहुंचता रहा तो वहीं कुछ बालू माफिया इस से करोड़ों की कमाई करते रहे.

प्रतिबंध हटने का आधार बना राज्य सरकार की विफलता

अवैध बालू खनन के मामले लगभग हर दूसरे सप्ताह ही सामने आते रहे हैं. ऐसे में जिला सर्वे रिपोर्ट के इंतजार में निश्चित रूप से राज्य को बड़ा नुकसान हो रहा है. हालांकि न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की पीठ ने यह भी कहा है कि बिहार के सभी जिलों में खनन उद्देश्य के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट को नए सिरे से तैयार किया जाए.

इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती है कि जब वैध बालू खनन पर रोक है तब अवैध बालू खनन कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहा है.

सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, “इस बात की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब वैध खनन पर रोक है तब अवैध खनन कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहा है और इसके नतीजतन रेत माफिया के बीच संघर्ष, अपराधीकरण और कई बार लोगों हत्या जैसे मामले भी आते हैं”

बालू की आवश्यकता

उच्चतम न्यायालय ने बालू की उपयोगिता को भी अंकित करते हुए कहा कि सार्वजनिक ढांचा परियोजनाओं के निर्माण तथा सरकारी और निजी निर्माण गतिविधियों के लिए बालू की आवश्यकता है.

कोर्ट ने आगे कहा कि वैध खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध और अवैध खनन को बढ़ावा देने से राजकोष को बड़ा नुकसान होता है. सुप्रीम कोर्ट के इस कथन से साफ तौर पर बिहार सरकार का अवैध खनन को रोक पाने की विफलता और इसे बढ़ावा देने की बात उजागर होती है.

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