साल 2021 के जुलाई महीने में निलंबित हुए महाराष्ट्र भाजपा के 12 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. विधानसभा स्पीकर द्वारा मानसून सत्र के दौरान इन विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था. आज सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर द्वारा विधायकों को निलंबित किए जाने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है. साथ ही सभी विधायकों का निलंबन भी रद्द कर दिया गया है.
महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित किए जाने के बाद कुछ भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. विधायकों का कहना था कि उन्हें निलंबित करने का फैसला दुर्भावना के चलते लिया गया और फैसला लेने से पहले उनके पक्ष को भी नहीं सुना गया. ये विधायक ओबीसी आरक्षण के समर्थन में हंगामा कर रहे थे. विधायकों पर पीठासीन अधिकारी के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने का आरोप था.
भाजपा विधायकों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 5 जुलाई, 2021 को महाराष्ट्र विधानसभा के 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने का फैसला अवैध है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है, जिसमें हंगामा हुआ था.
इसके पहले के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा था कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा ही नहीं बल्कि तर्कहीन भी है. अदालत ने 19 जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इन 12 विधायकों में संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया के नाम शामिल थे.