सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोविड -19 पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा राशि के वितरण के लिए एक जांच समिति गठित करने को लेकर गुजरात सरकार को जमकर फटकार लगाई है. पीठ गुजरात सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा ‘कोविड-19 से हुए मौत का पता लगाने वाली समिति’ के गठन के 29 अक्टूबर के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्न की बेंच ने गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा कि कितने लोगों को कोविड मुआवजा मिला है, उन्होंने कहा कि उन्हें सभी राज्यों से डेटा एकत्र करना चाहिए. तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के निर्देश के तहत एक संशोधित प्रस्ताव जारी किया गया है, लेकिन इसमें कुछ संशोधन की भी जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य कोविड-19 पीड़ितों के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि से केवल इस आधार पर इनकार नहीं करेगा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत के कारण के रूप में वायरस का उल्लेख नहीं है.
अदालत ने कहा कि यह मामले में देरी करने और गड़बड़ाने का एक नौकरशाही प्रयास है. अदालत ने कहा कि अगर फर्जी दावे हो तो यह वास्तविक लोगों के लिए बाधा नहीं बन सकता. मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया कि अदालत की चिंताओं का समाधान किया जाएगा और प्रस्ताव में बदलाव किया जाएगा. इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील होने के लिए गुजरात सरकार को फटकार लगाई थी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.