शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई है. न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप 02 दिन का लॉकडाउन लगाएंगे? साथ ही उन्होंने एयर क्वालिटी इंडेक्स-एक्यूआई को कंट्रोल करने के लिए इमरजेंसी प्लान तैयार करने को कहा है.
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च के अनुसार, शनिवार की सुबह वायु गुणवत्ता 499 यानि ‘गंभीर’ श्रेणी में रही. हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 प्रदूषकों का स्तर क्रमश: 134 और 72 था. दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई शाम चार बजे तक 471 दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे खराब आंकड़ा है. बृहस्पतिवार को यह आंकड़ा 411 था.
आपको बता दें, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को “अच्छा”, 51 से 100 के बीच में “संतोषजनक”, 101 से 200 के बीच “मध्यम”, 201 से 300 तक “खराब”, 301 से 400 के बीच में “बेहद खराब” तथा 401 से 500 के बीच “गंभीर” माना जाता है. ऐसे में कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि हमें बतायें कि कैसे एक्यूआई को 500 से 200 पर लाया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर सरकार अबतक कर क्या रही है? प्रदूषण कैसे नियंत्रित होगा ये बताएं. चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने केंद्र सरकार से कहा कि स्थिति इतनी भयावह है कि घर में भी मास्क लगाना पड़ रहा है. जल्द से जल्द इसके उपाय करे और 02 दिन का लॉकडाउन के बारे में सोचें. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में स्कूलों को खोले जाने को लेकर दिल्ली सरकार से सवाल किया कि राजधानी में सभी स्कूल खोल दिए हैं और अब बच्चे भी प्रदूषण के संपर्क में आ गए हैं. आखिर दिल्ली सरकार की मनसा क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, प्रदूषण के लिए केवल किसानों को जिम्मेवार ठहरा कर सरकार अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती. पराली जलाने से 30-40 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ता है. जबकि गाड़ियों, पटाखों और इंडस्ट्रियल डस्ट से भी प्रदूषण में अत्यधिक इजाफा हो रहा है. सरकार यह बताए कि अबतक प्रदूषण को कम करने के किए क्या कदम उठाए गए हैं और कौन सी योजना सरकार फिलहाल बना रही है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी.
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