सांसद अपने किए पर पश्चाताप करने की बजाय, उसे न्यायोचित ठहराने पर तुले हैं. ऐसे में निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है : सभापति
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आज राज्यसभा में सत्र शुरू होते ही सभापति वेंकैया नायडू ने यह स्पष्ट पर किया कि जिन 12 सांसदों को निलंबित किया गया था उनका निलंबन वापस नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सांसद अपने किए पर पश्चाताप करने की बजाय, उसे न्यायोचित ठहराने पर तुले हैं. ऐसे में उनका निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है.
क्या है निलंबन का मामला ?
आपको बता दें, सांसदों ने पिछले सत्र में 11 अगस्त को राज्यसभा में किसान आंदोलन एवं अन्य मुद्दों के बहाने सदन में जमकर हो-हंगामा किया था और खूब अफरा-तफरी मचाई थी. इसे लेकर 12 सांसदों को वर्तमान सत्र के बाकी समय लिए निलंबित कर दिया गया है. यानी ये सांसद सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे. जिन 12 सांसदों को निलंबित किया गया वो हैं, एलामरम करीम (सीपीएम), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनय विश्वम (सीपीआई), राजामणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन (टीएमसी), शांता छेत्री (टीएमसी), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना), अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस). इन 12 सदस्यों को सोमवार को वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया.
आज राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जन खड़गे ने सभी 12 विपक्षी सांसदों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति सभापति से मांगी. खड़गे ने कहा कहा कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है, इसलिए उनके निलंबन का फैसला वापस लिया जाना चाहिए. जवाब में सभापति नायडू ने कहा कि निलंबन की कार्रवाई उनकी नहीं, बल्कि सदन की थी.
सभापति नायडू ने कहा, आपने सदन को गुमराह करने की कोशिश की, आपने अफरा-तफरी मचाई, आपने सदन में हो-हंगामा किया, आसन पर कागज फेंका, कुछ तो टेबल पर चढ़ गए और मुझे ही पाठ पढ़ा रहे हैं. यह सही तरीका नहीं है. प्रस्ताव पास हो गया है, कार्रवाई हो चुकी है और यह अंतिम फैसला है. सभापति ने कहा कि निलंबित सदस्य बाद में सदन में आएंगे और उम्मीद है कि वो सदन की गरिमा और देशवाशियों की आकांक्षा का ध्यान रखेंगें.