तालिबान सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मान्यता पाने की कोशिशों के दौरान यह कहा गया है कि वे भारतीय राजनयिकों की सहायता लेने और उनकी सुरक्षा करने के लिए तैयार हैं. सर्दियों के बढ़ने से मानवीय संकट बिगड़ता जा रहा है. तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद और अफ़्गानिस्तान राष्ट्र में नियुक्त राजदूत सुहैल शाहीन ने बताया की टीओआई तालिबान सहायता के लिए आगे आएँगे.
टीओआई द्वारा पूछे गए एक सवाल “भारतीय राजनयिक अफगानिस्तान लौट सकते हैं या नहीं ?” इसका जवाब देते हुए शाहीन ने कहा कि वे सभी राजनयिकों को लेने के लिए तैयार हैं और उनके नियमित राजनयिक कार्यों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित हैं.
हाल में ही मास्को फॉर्मेट टॉक्स के द्वारा छेड़े गए एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उन्हें इतनी सर्दी में ज्यादा से ज्यादा मानवीय सहायता की आवश्यकता है.
तालिबान ने मास्को में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की पुष्टि की थी. उन्होंने ने यह कहा था की भारत ने आगानिस्तान के लिए मास्को बैठक में मानवीय सहायता का जिक्र किया था और दोनों ही पक्षों को एक दूसरे के “राजनयिक और आर्थिक संबंधों” में सुधार करने की चिंता है. भारत सरकार के द्वारा अगले महीने से अफगानों की सुरक्षा पर स्थान दिया जा सकता है. भारत अफगानों की मदद का रास्ता वाघा-अटारी बॉर्डर के माध्यम से देख रहा है.
आने वाले दिनों में यह भी देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान, जो कि भारत को अफगानिस्तान जाने के उपयुक्त मार्ग में जाने से रोकता है, क्या वह भारत को अफगानिस्तान तक पहुंचाने के लिए गेहूँ की एक बड़ी खेप (लगभग 50,000 मीट्रिक टन) ले जाने और चिकित्सा सहायता पहुंचाने देता है या नहीं. इसके लिए भारत को पहले यह सुनिश्चित करने होगा कि वह अफगानिस्तान को गैर-भेदभावपूर्ण सहायता प्रदान कर रहा है या नहीं. भारत का इसपर कहना है कि इसके लिए पूरे राष्ट्र को निगरानी करनी चाहिए.
तालिबान ने पिछले सप्ताह अमेरिका तथा अन्य राष्ट्रों को चेतावनी दी थी कि अगर उनके मान्यता की मांग पूरी नहीं हुई और विदेशों में अफगान फंड जमा हुआ तो यह पूरी दुनिया के लिए घातक साबित हो सकता है.
काबुल के तालिबान कब्ज़े के बाद भारत ने अफगानिस्तान में फंसे अपने राजनयिकों को वापिस ले लिया था. तालिबान को मान्यता प्रदान करने की पुष्टि अभी कहीं से नहीं हुई है. रूस ने भी यहाँ तक की इस बात पर हामी भरी है कि तालिबान को अभी मान्यता देने की कोई जल्दी नहीं है, जबकि वह तालिबान के साथ काम करता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने भी तालिबान सरकार को मान्यता अभी तक नहीं दी है मगर पिछले हफ्ते उसने तालिबान के राजनयिकों को इस्लामाबाद में अफगानिस्तान दूतावास पर नियंत्रण करने की इजाजत दे दी थी.