The Economist का सवाल, बॉलीवुड के पीछे क्यों पड़ी है भारत सरकार?

अपने हालिया लेख में अंतरराष्ट्रीय मैगजीन ‘ द इकोनॉमिस्ट ‘ ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ा खतरा माना है और इसे चुनावों से पहले तनाव पैदा करने को बीजेपी की पुरानी रणनीति बताई है.

हाल ही में एनसीबी द्वारा क्रूज शिप ड्रग केस मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और पिछले साल सुशांत सिंह राजपूत मामले में उनकी दोस्त रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार किए जाने पर भी इस संपादकीय में सवाल उठाए गए हैं.

द इकोनॉमिस्ट ने अपने लेख ” वॉट डस इंडियाज गवर्मेंट हेज अगेंस्ट बॉलीवुड” में लिखा है कि “भारत में फिल्म उद्योग धर्मनिरपेक्ष है और तीनों खान – शाहरुख, आमिर और सलमान इसकी त्रिमूर्ति हैं, जिन्होंने करीब 3 दशकों तक बॉलीवुड पर राज किया है.”

तीनों की लोकप्रियता, सफलता और श्रेष्ठता देश की सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता का संकेत माना जाता है. लेकिन, नरेंद्र मोदी की हिन्दू कट्टरवादी सरकार को यह मंजूर नहीं है.

इसमे लिखा गया है कि हाल के वर्षों में तीनों खानों को कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, जिसमें उन्हें “पाकिस्तान जाओ” जैसी असहिष्णु बातें भी सुननी पड़ी हैं. भारतीय राजनीति के गिरते स्तर, जहां महज़ उर्दू भाषा के उपयोग का भी “अब्रहामिकरण” कर दिया जाता है, के लिए यह कोई चकित कर देने वाली बात नहीं है.”

मुंबई क्रूज शिप ड्रग केस मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान, जिसके पास से किसी भी प्रकार के ड्रग की बरामदगी नहीं हुई है, को गिरफ्तार किए जाने को उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से भी जोड़ा गया है.

इसमें लिखा है कि पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों से पहले सुशांत सिंह राजपूत केस में रिया चक्रवर्ती और बॉलीवुड में ड्रग नेटवर्क को मुद्दा बनाकर चुनावी माहौल को बीजेपी के समर्थन में करने की कोशिश की गई और इस बार यूपी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले काफी लोकप्रिय अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग मामले में मुद्दा बनाकर चुनावी माहौल को फिर से अपने समर्थन में करने की कोशिश भाजपा द्वारा की जा रही है.

लेख में आगे यह भी लिखा है कि बॉलीवुड में तनाव पैदा करना किस प्रकार से बीजेपी के हित में है. मुंबई, जो कि महाराष्ट्र के साथ-साथ बॉलीवुड की भी राजधानी मानी जाती है, में तनाव पैदा करने से महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है.

लेख के अनुसार, 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से देश में असहिष्णुता बढ़ी है, राष्ट्रीय विपक्षी दलों को कमजोर कर दिया गया है और इसके साथ ही स्वतंत्र संस्थानों और भारतीय मीडिया को बीजेपी द्वारा अपने हित में इस्तेमाल किया जा रहा है. बॉलीवुड की सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया गया है जिससे पिछले कुछ वर्षों पर बॉलीवुड की हस्तियां किसी भी मामले पर अपनी राय देने से बचते नजर आए हैं.

बॉलीवुड की सहिष्णुता और स्वतंत्र विचार शैली मोदी सरकार की संकीर्ण हिन्दू राष्ट्र की कल्पना के अनुकूल नहीं है.

किसी अंतरराष्ट्रीय मैगजीन में ऐसा लिखा जाना यह दिखाता है कि विश्व में भारत की छवि कितनी बुरी बन रही है और यह भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए कितना घातक साबित हो सकता है.`

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *