गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार विधानसभा भवन के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि “बिहार प्रतिभावान लोगों की धरती है, यहीं से पूरे देश को गौरवपूर्ण बनाने की महान परंपरा की शुरुआत हुई. बिहार की धरती विश्व में प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है.”
उन्होंने आगे कहा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू और बिहार के राज्यपाल और भारत के राष्ट्रपति रह चुके ज़ाकिर हुसैन जी की विरासत को उन्हें आगे बढ़ाना है.
इस मौके पर राष्ट्रपति ने बुद्ध, आर्यभट्ट और चाणक्य जैसे विद्वानों को भी याद किया. उन्होंने कहा “भगवान बुध ने विश्व के आरंभिक गणराज्यों को प्रज्ञा तथा करुणा की शिक्षा दी . आर्यभट और चाणक्य जैसे विद्वानों की विरासत बिहार को मिली है, इसे हमें मिलकर आगे बढ़ाना है.”
बिहार विधानमंडल भवन के शताब्दी समारोह की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दीप प्रज्वलित करने से हुई. इसके पहले उन्होंने विधानमंडल के प्रांगण में महा बोधी के पौधे का प्रत्यारोपण भी किया. साथ ही साथ राष्ट्रपति ने रिमोट द्वारा शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास भी किया.
समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार विधानसभा भवन का निर्माण 1920 में किया गया था. राष्ट्रपति द्वारा निमंत्रण स्वीकार कर बिहार आने के लिए मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया.
समारोह में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिन्हा, उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद और रेनू देवी भी मौजूद रहीं. हालांकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव उपचुनाव में अपने चुनाव प्रचार के कारण समारोह में सम्मिलित नहीं हुए.