उत्तर प्रदेश में छापे की राजनीति, चुनाव के दौर में हो रहे रेड्स के क्या है मायने?

उत्तर प्रदेश में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी राजनीतिक दल अपने प्रचार-प्रसार में लगे हुए है.

इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज आवास पर डीजीजीआई की टीम ने छापा मारा था जिसमें सैकड़ों करोड़ रुपये बरामद हुए. बीजेपी के द्वारा पीयूष जैन को अखिलेश यादव का करीबी बताया जा रहा है.

तमाम राजनीतिक सरगर्मियों के बीच इस खबर ने सबका ध्यान खींचा जिसमें बताया गया कि समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव के करीबियों के यहां छापे पड़ने शुरू हुए है. इस खबर ने तूल तब पकड़ी जब इस छापे में करोड़ो रुपए बरामद हुए जिसके बाद अखिलेश ने उन्हें अपना करीबी मानने से ही इनकार कर दिया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीयूष जैन के ठिकानों से 196 करोड़ कैश, 10 करोड़ का सोना और 6 करोड़ रुपये की कीमत का चंदन का तेल मिला है.

सपा एमएलसी पुष्पराज जैन के ठिकानों पर छापा

पीयूष जैन के बाद सपा के एमएलसी पुष्पराज जैन की हाथरस के कस्बा हसायन में स्थित इत्र फैक्ट्री में छापा पड़ा. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये फैक्ट्री पिछले कई सालों से बंद है.

समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि “पीयूष जैन भाजपाई था, ये बात सार्वजनिक होते ही भाजपा की फ़जीहत चारों तरफ होने लगी, बौखलाई BJP ने आज पम्पी जैन के यहां छापेमारी करके अपनी भड़ास निकाली, लेकिन वो कहावत है कि झूठ के पांव नहीं होते, BJP का झूठ का फूल बेनकाब हो चुका है, जनता अब वोट से जवाब देकर भाजपा को सबक सिखाएगी!”

अब सवाल है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव के ठीक पहले होने वाले इन छापों के क्या मायने है. सोशल मीडिया पर लोगों के बीच इस विषय को लेकर खूब खींचा-तानी हो रही है.

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