हरियाली के सरपरस्त से जेल की यात्रा करते बिहार के एक आइएएस की कहानी

रविशंकर उपाध्याय, पटना|

2013 की बात है, तब 1991 बैच के आइएएस एसएम राजू एससी एसटी वेलफेयर डिपार्टमेंट के सचिव बन चुके थे. इसके पहले वे ग्रामीण विकास विभाग में अतिरिक्त सचिव के पद पर रहते हुए मनरेगा में उन्होंने एक नया कॉन्सेप्ट लाया था. उन्होंने बिहार में मनरेगा को सड़क किनारे पौधारोपण कार्यक्रम से जोड़ने का प्रस्ताव लाया था.

फरवरी 2009 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास यात्रा पर थे, तब उन्हें संयोग से अपना विचार मुख्यमंत्री के समक्ष लाने का मौका मिल गया, उस समय राजू ग्रामीण विकास विभाग में तीन साल पूरे कर चुके थे, उन्हें सरकार ने मई 2009 में तिरहुत प्रमंडल का प्रमंडलीय आयुक्त बना दिया.

संयोग से शिवहर का दौरा करते हुए मुख्यमंत्री का ध्यान राजू के प्रयासों पर गया और नीतीश कुमार ने इसे पूरे राज्य में लागू करने का आदेश दे दिया. इस प्रकार एसएम राजू प्रदेश में हरियाली के दूत हो गए थे. उन्हें खूब वाहवाही मिली. राष्ट्रीय स्तर की एक पत्रिका ने उन्हें हरियाली का सरपरस्त मानकर सम्मानित भी किया था.

अब आइए 2023 में. शुक्रवार को बिहार के बहुचर्चित महादलित विकास मिशन घोटाले के आरोपी एसएम राजू की आत्मसमर्पण सह जमानत याचिका खारिज करते हुए पटना की एक विशेष अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया.

दरअसल यह पूरा मामला महादलित विकास निगम के तहत महादलित विकास मिशन की विभिन्न योजनाओं में गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है. आरोप के अनुसार बिना टेंडर किए ही काम दिए गए और राशि वसूलने के निर्देश को विलोपित करते हुए राजस्व की क्षति पहुंचायी गयी. सर्विस टैक्स की राशि का भी गबन कर लिया गया और फर्जी सूची के आधार पर भुगतान किया गया.

इन सभी आरोपों पर निगरानी के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी की अदालत में राजू ने 18 जनवरी को आत्मसमर्पण सह जमानत की याचिका दाखिल की थी. 20 जनवरी को सुनवाई की तिथि मुकर्रर हुई जहां राजू की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है, वे निर्दोष हैं.

दूसरी ओर अभियोजन की ओर से जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया कि इस मामले में राजू की संलिप्तता के काफी सुबूत हैं और मामला जमानत योग्य नहीं है. इसके बाद अदालत ने उन्हें जेल भेजने का फैसला सुनाया है.

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