पंजाब कांग्रेस में ऊपरी तौर पर सब ठीक दिख रहा है लेकिन जानकारों में इस बात की कानाफूसी चल रही है कि ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगा और नेताओं की आपसी रंजिश फिर से सतह पर दिखने लगेगी.
अनुसूचित जाति से आने वाले चरणजीत चन्नी को सीएम के पोस्ट पर बिठाने और जट्ट सिक्ख नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बनाए रखने बाद कांग्रेस हाईकमान को ऐसा लग रहा था कि अब चीजें ठीक हो जाएंगी लेकिन अंदरखाने से कुछ और ही ख़बरें आ रही हैं.
कहा जा रहा है कि सरकारी फैसलों में सिद्धू का काफी दखल रहता है. इससे अनुसूचित जातियों, जिनका एक बड़ा हिस्सा पंजाब में रहता है, में नकारात्मक सन्देश जा रहा है. सिद्धू के हस्तक्षेप को एक जट्ट सिक्ख की दबंगई के तौर पर देखा जा रहा है. चन्नी को कम्प्रोमाइज सीएम भी कहा जाने लगा है.
पंजाब कांग्रेस की इन कमजोरियों की वजह से विरोधियों को मौक़ा मिल रहा है. ख़ास कर कैप्टेन अमरिंदर सिंह तो इन मौकों की तलाश में हैं कि किस तरह कांग्रेस के कलह को हवा दी जा सके.