बीते रविवार को हुए उपचुनाव के परिणामों की चर्चा करने के लिए और आने वाले राज्य के विधानसभा चुनावों की रणनीतियों की योजना बनाने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं की मुलाकात होने वाली है. जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के नेता सभी जरूरी व अभी के राजनीतिक दृश्य से मिलते-जुलते मुद्दों पर चर्चा करेंगे. यह मीटिंग 2019 के बाद इस वर्ष रविवार को पहली बार हो रही है क्योंकि कोविड-19 महामारी के प्रतिबंध इस मीटिंग की इजाजत नहीं दे रहे थे.
हालांकि एजेंडा की सूची में अब तक राष्ट्रपति का संबोधन, शोक प्रस्ताव, आगामी विधानसभा चुनाव, अन्य जारी मुद्दों पर चर्चा, आने वाले अन्य कार्यक्रम और समापन भाषण मौजूद हैं. मगर महासचिवों की एक मीटिंग शनिवार को आयोजित की जा सकती है, जिसमें वे रविवार की मीटिंग में किये जाने वाले संकल्पों की संख्या और उनके स्वरूप तय करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा अपने संबोधन से मीटिंग की शरुआत करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन से मीटिंग का समापन करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी के शासन में हुए कोविड के 100-करोड़ टीकाकरण का पूरा होना, इंधन के कर में कमी और उनके हालिया विदेश यात्रा की तारीफ में भी इस मीटिंग चर्चा की जा सकती है.
भाजपा के राज्य सभा सांसद और पार्टी मीडिया सेल के राष्ट्रीय प्रमुख, अनिल बलुनी ने बताया कि NDMC कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की गई रविवार की मीटिंग काफ़ी अलग होने वाली है. यह मीटिंग प्रौद्योगिकी समर्थित “हाइब्रिड मीटिंग” होगी जो कि 10 बजे से लेकर 3 बजे तक चलेगी. राष्ट्र की राजधानी में उनका एक मंच होगा और सभी राजधानियों में एक स्थान होगा जहां से राज्य के नेता जो राष्ट्रीय कार्यकारी परिषदों में शामिल हैं, वे इस बैठक में भाग लेंगे.
केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय पदाधिकारी दिल्ली में मीटिंग से जुड़ेंगे और राज्य के नेता अपने क्रमश: राज्यों से आभासी तौर पर जुड़ेंगे.
भाजपा ने अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन पिछले महीने 80 सामान्य सदस्यों, 50 विशेष आमंत्रित और 179 स्थायी आमंत्रित सदस्यों से किया.
हाल ही में आए उपचुनाव के परिणामों से भाजपा को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा क्योंकि भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में उन्होंने एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों को खो दिया. कर्नाटक, जहाँ नए-नए नियुक्त मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, हानगल विधानसभा चुनाव क्षेत्र में नहीं जीत पाए जो कि उनके गृह जनपद में आती है और राजस्थान में भी पार्टी उम्मीदवारों की अपमानजनक हार हुई.
मगर भाजपा ने कुछ शानदार जीतें भी हासिल की जैसे कि असम और मध्य प्रदेश में और तेलंगाना जहाँ पार्टी ने अपनी नींव फैलाने की कोशिश की थी वहाँ वे एक वैकल्पिक चुनावी शक्ति के रूप में उभरे.
कोविड-19 के बाद की आर्थिक स्थिति, सरकार के द्वारा महामारी के समय लिए गए फैसले और किसानों की उत्तेजना और उसका भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर प्रभाव चर्चा के मुख्य विषय हो सकते हैं.
अगले साल की शुरुआत में भाजपा-शासित राज्य यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और कॉंग्रेस-शासित राज्य पंजाब में चुनाव होंगे और गुजरात और हिमाचल प्रदेश में 2022 में बाद में चुनाव होंगे.