पटना। रविशंकर उपाध्याय
इनसे मिलिए, ये हैं मो युनूस। युनूस जी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के पर्सनल टेलर हुआ करते थे। उनके परिवार के अन्य सदस्यों की तरह युनूस जी भी उनके साथ उनके आवास एक देशरत्न मार्ग में ही रहते थे। कर्पूरी जी के साथ 20 साल तक रहे तो जैसी सादगी वे उनमें देखते थे वैसी ही सादगी जीवन में अपना लिया। कभी भी ईमानदारी से डिगे नहीं। एक बार किसी की सिफारिश पर खादी भंडार में नौकरी मिली तो मैनेजर से झगड़ा हो गया क्योंकि इनके मुताबिक मैनेजर क्वालिटी से समझौता कर काम करने को कह रहा था। काम छोड़ दिये फिर कभी समझौता नहीं किया। आज भी खुद्दारी से सड़क किनारे फुटपाथ पर ही कपड़े की सिलाई करते हैं। सचिवालय के पास ही टूटी कुर्सी पर बैठकर पुरानी सिलाई मशीन लेकर ये कुर्ता-पायजामा और बंडी सिलते हैं। एक देशरत्न मार्ग ( जो अभी कर्पूरी संग्रहालय बन चुका है) के पास झोपड़ी में किसी तरह रहते हैं लेकिन बहुत खुश रहते हैं। तबीयत साथ नहीं देती है तो कुछ दिनों की छुट्टी लेकर बेटी के पास चले जाते हैं लेकिन सुधरते ही वापस काम पर लौट आते हैं। इन्हें देखकर महसूस नहीं होगा कि जिन कर्पूरी जी के नाम पर बिहार-यूपी में राजनीति होती है, उनके पर्सनल टेलर रहे व्यक्ति आज इस स्थिति में रहते हैं। इनको देखकर यह भी सीख मिलती है कि दुनिया में ईमानदार और खुद्दार लोगों की कमी नहीं हैं।
कर्पूरी जी से जुड़ी सभी सामग्री देखने के लिए जाएं
जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम पर 1991 में बना कर्पूरी संग्रहालय आज उनके सपनों और आदर्शों की मिसाल पेश कर रहा है. राजभवन और मुख्यमंत्री आवास के ठीक बगल में खड़ा बंगला कभी जननायक कर्पूरी ठाकुर का सरकारी आवास हुआ करता था. जहां अपने जीवन की सांध्य बेला गुजारने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने अंतिम सांसें ली थी. बाद में कर्पूरी ठाकुर के इस आवास को कर्पूरी संग्रहालय बना दिया गया. कला संस्कृति व युवा विभाग ने यहां पर कर्पूरी संग्रहालय में वह सारी सामग्री रखी है जिससे आपको कर्पूरी जी की सादगी वाली जीवनशैली का पता चल सकेगा. सिंगल बेड पर सोने वाले कर्पूरी जी किस प्रकार पटना के नाला रोड स्थित दुकान का चश्मा पहना करते थे. कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में कई सामाजिक आंदोलनों को नेतृत्व किया. बिहार में पहली बाहर नशाबंदी करने की हिम्मत दिखाई. सरकारी नौकरियों में पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू किया.