फाइनैन्शल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखते हुए अब इसमें तुर्की को भी शामिल कर दिया है. तुर्की पर आतंकवादियों को पालने का आरोप लगा है.
एफटीएफ के अध्यक्ष डॉ. मार्कस प्लेयर ने कहा है कि पाकिस्तान को गंभीर होकर यह साबित करने की आवश्यकता है कि प्रतिबंधित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई ठोस तरीके से चल रही है.
मार्कस प्लेयर ने पाकिस्तान के उस आरोप का भी खंडन किया जिसमें भारत के दवाब में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल करने की बात कही गई थी. उन्होंने कहा एफटीएफ एक तकनीकी निकाय है जो अपना फैसला आम सहमति से लेती है.
पाकिस्तान के सामने ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए एफटीएफ के तरफ से जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की शर्त रखी गई है. हाफिज और मसूद को संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आतंकवादियों की लिस्ट में रखा है.
ज्ञात रहे कि जून 2018 में पाकिस्तान को एफटीएफ की निगरानी सूची में रखा गया था और अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए कार्य योजना सौंपी गई थी.
तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देने और आतंकवादियों के वित्तपोषण के कारण ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया गया है.