बिहार: कटिहार में होली की अनूठी परंपरा, 118 साल से महिलाएं कर रहीं होलिका दहन; देखने के लिए उमड़ती है भीड़

होली के पर्व को लेकर घरों में तैयारी शुरू हो गई है। ऐसे तो होली पर अलग-अलग जगह कई परंपराएं निभाई जाती है, लेकिन बिहार के कटिहार के बड़ा बाजार में होलिका दहन की एक अनूठी परंपरा कायम है। यहां होलिका दहन की अगुआई मारवाड़ी समाज की महिलाएं ही करती हैं। होलिका दहन में महिलाओं की खास भागीदारी रहती है।

गौरतलब है कि शहर के बड़ा बाजार में होलिका दहन की परंपरा 118 साल पुरानी है। घरों में खास तौर पर गोबर से बरकुल्ला तैयार किए जाते हैं। इसी से होलिका दहन किया जाता है। शाम ढलते ही बड़ी संख्या में महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में होलिका दहन स्थल पर पहुंचती हैं। वे परिक्रमा के बाद विधि-विधान से रस्म पूरी करती हैं। नवविवाहिता होलिका की परिक्रमा करती है।

पूजा के बाद चढ़ाया जाता है होलिका को पकवान

होलिका दहन के पहले दिन में महिलाओं की टोली पूजा के लिए पहुंचती है। वे विधिवत पूजा के साथ पकवान चढ़ाती हैं। इसके साथ ही होलिका में प्रह्लाद के रूप में आम का पेड़ चढ़ाया जाता है। नवविवाहित स्त्रियां होलिका के फेरे लेती हैं।

इसके बाद, महिलाएं होलिका दहन के बाद वहां की राख को एकत्रित कर दूसरे दिन से गणगौर की पूजा आरंभ करती हैं। इस होलिका दहन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

नवविवाहिता भी करती है पूजा

इस मौके पर नवविवाहिताएं विशेष पूजा करती हैं। भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की जाती है। होली के अवसर पर शहरी क्षेत्र में राजस्थान के मारवाड़ संस्कृति की झलक मिलती है।

विधान पार्षद सह चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि होली का त्योहार आपसी भाईचारे का प्रतीक है। बड़ा बाजार में सौ साल से भी अधिक समय से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन की अगुवाई महिला ही करती है।

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