पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गाँधी ने अपने ट्विटर बायो में भाजपा का ज़िक्र तकरीबन 7 साल पहले ही छोड़ दिया था. ऐसे दौर में, जब सोशल मीडिया के अकाउंट को व्यक्तित्व का अहम् हिस्सा और पहचान माना जाने लगा हो, अपनी पार्टी के नाम का ही ज़िक्र ना करना कुछ ख़ास इशारे तो करता ही है.
वरुण गाँधी भाजपा के उन नेताओं या कह लें कि मोदी-शाह के दौर में अकेले भाजपा नेता हैं, जो अपने मन की बात कहने से नहीं चूकते. कई बार उनके कहे की लाइन और लेंथ पार्टी की सीमाओं से आगे भी पहुँच जाती है और इसके लिए लिए भी वरुण ट्विटर का ही सहारा लेते हैं.
लखीमपुर खीरी मसले में भी किसानों के मौत पर वरुण गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर सख्त करवाई की मांग की और अपनी चिट्ठी को ट्विटर पर पोस्ट कर दिया. वरुण गाँधी चिठ्ठी को ट्वीट करते हुए लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि दी है.
इससे पहले 2 अक्टूबर को उन्होंने ट्वीट किया था कि जो लोग ‘गोडसे ज़िंदाबाद’ को ट्विटर पर ट्रेंड करवा रहे हैं, वो पूरे देश को शर्मिन्दा कर रहे हैं.