विनोद मेहरा, क्यों याद आयेंगे ?

विनोद मेहरा

मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं लेता…
ए बुढिया श्याम आए तो कह देना कि छेनू आया था…
आपके पाँव देखे ,बहुत हसीन हैं , इन्हें जमीन पर मत उतारियेगा मैले हो जायेंगे…
बसन्ती इन कुत्तों के सामने मत नाचना…

इन सवांदो से आपके दिमाग में उस अभिनेता की तस्वीर उभर आती है कि ये संवाद किस अभिनेता का है.दिलीप कुमार, राजकपूर, राजकुमार, अमिताभ, शत्रुघ्न सिन्हा ऐसे तमाम अभिनेता हैं जिनकी एक ख़ास किस्म की संवाद अदायगी थी और जिस पर तालियों से सिनेमा हांल गूंज उठता था. ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर 1990 -95 तक कामर्शियल सिनेमा में स्टालाइज्ड डायलॉग डिलीवरी का जबरदस्त दौर रहा है. लेकिन इस भीड़ में अभिनेता विनोद खन्ना और विनोद मेहरा- इन दोनों को  मैं एक ऐसा अभिनेता मानता हूँ जिसने मेनस्ट्रीम सिनेमा में काम करते हुए अपनी संवाद अदायगी में कोई  ख़ास मैनेरिज्म नहीं रखा. आप कह सकते हैं कि संवाद अदायगी को नाटकीयता से कोसों दूर रखा. विनोद मेहरा का कोई भी संवाद अचानक आपको याद नहीं आएगा …उनकी फ़िल्में ,उनके ऊपर पिक्चराईइज हुए गाने आपको याद आयेंगे लेकिन कोई ख़ास संवाद याद नहीं आएगा. मोतीलाल ,बलराज साहनी ,संजीव कुमार इन लोगों ने जिस सहज अभिनय के रास्ते को बनाया, उस रास्ते के प्रतिनिधि थे विनोद मेहरा. चूँकि हमें आदत है सुपरस्टार को याद रखने का, चमक-दमक से भरे सितारों को याद रखने की फितरत है हमारी तो कहाँ याद आयंगे अल्पायु में ही जा चुके विनोद मेहरा…खैर

साधारण सा व्यक्तित्व पर दिखने में स्मार्ट लुक… दिखने में सहज.. निश्छल मुस्कान.. अभिनय में सहजता.. न कोई लाउडनेस.. ऐसा ही व्यक्तित्व था विनोद मेहरा का.. कौन भूल सकता है घर फिल्म के नायक को.. कौन भूल सकता है अमर प्रेम में उनका मासूम सा किरदार.. कौन भूल सकता है लाल पत्थर का किरदार.. अनुरोध में राजेश खन्ना के दोस्त की भूमिका.. और गीत- दिल के टुकड़े टुकड़े करके चल दिए  गाने पर उन  का नायिका को मनाना. घर फिल्म में – फिर वही रात हैं और अनुराग में मौसमी चटर्जी के साथ – तेरे नैनो के मैं दीप जलाउंगा…. आज कल रियलस्टिक अभिनय की खूब बात हो रही  है तो विनोद उसी रियलस्टिक अभिनय के प्रतिनिधि रहे हैं.


कैरियर

1945 में जन्मे  विनोद की बड़ी बहन शारदा फिल्मो में काम करती थी. विनोद की कभी इच्छा नहीं थी कि  वो फिल्मों में काम करे. लोगों के कहने पर काम शुरू किया. रागिनी से बतौर बाल कलाकार की शुरुआत करनेवाले विनोद मेहरा एक थी रीता से हीरो बने फिर अमर प्रेम ,लाल पत्थर जैसी फिल्मो में उनके अभिनय को सराहा गया. लेकिन शक्ति सामंत की फिल्म अनुराग ने उन्हें इंडस्ट्री में मजबूत किया. खुद्दार ,जानी दुश्मन ,स्वर्ग ,नर्क ,साजन बिन सुहागन ,जुर्माना  ,एक ही रास्ता जैसी कई फिल्मो में उन्होंने काम किया. आप विनोद मेहरा की फिल्मों को देखे तो कई ऐसी  फ़िल्में हैं जिसमें विनोद के अभिनय को याद किया जाता है.. हिन्दी सिनेमा में जब अमिताभ के जलवे के सामने कई हीरो मार- धार की शरण में चले गये. ऋषि कपूर जैसे कई हीरो रोमांटिक इमेज में कैद हो गये.. वहीं विनोद मेहरा  मार – धाड़ की फिल्मों के साथ-साथ घर जैसी फ़िल्में  भी करते रहें. चूँकि वो जमाना था राजेश  खन्ना और अमिताभ का तो सब ने किसी न किसी ओट का सहारा लिया. लेकिन विनोद मेहरा ने मल्टी स्टार वाली फिल्मे करते हुए भी सार्थक फिल्मों में अपनी सशक्त मौजूदगी रखी. बाद में श्रीदेवी ,ऋषि कपूर और अनिल कपूर को लेकर उन्होंने गुरुदेव नाम की फिल्म का निर्माण और निर्देशन किया.. लेकिन बीच में उनकी मौत हो गई तो राज सिप्पी ने फिल्म को पूरा किया और फिल्म रीलिज  भी हुई… उनके मरने के बाद बतौर अभिनेता पत्थर के फुल, इन्सानियत,औरत फिल्म रीलिज हुई.

वैवाहिक जीवन

उनकी तीन बार शादी हुई .पहली शादी माँ के कहने पर मीना ब्रोका से की फिर दुसरी शादी बिंदिया गोस्वामी से की जिसके कारण  मीना ने उन्हें छोड़ दिया. बाद में बिंदिया भी उन्हें छोड़कर चली गई उन्होंने निर्देशक जे पी दत्ता से शादी कर ली. रेखा के साथ अफेयर रहा. यहाँ तक कि शादी की बात तक होने लगी थी. जिसे बाद में रेखा ने सिम्मी ग्रेवाल के साथ एक टेलीविजन शो में कहा कि यह अफवाह थी. इस अफेयर के बाद उनकी शादी किरन से हुई जिससे उनके दो बच्चे हुए –सोनिया और रोहन . मात्र 45 साल में 30 अक्तूबर1990   को विनोद की मौत हार्ट अटैक  से हो गई. उनके मरने के बाद उनकी फैमिली केन्या चली गई ..

बच्चे बड़े हुए तो बेटी सोनिया ने 1972 की क्लासिक फिल्म विक्टोरिया नम्बर 203 की रीमेक में काम किया और बेटे रोहन ने 2018 में निखिल आडवाणी की बाजार से डेब्यू किया.

अभिनय के किंग कहे जाने वाले दिलीप कुमार का भी संवाद अदायगी में एक ख़ास शैली थी. रियलस्टिक अभिनय के लिए जाने वाले संजीव कुमार भी कई फिल्मों में अपनी बनी – बनाई शैली में संवाद कहा है. लेकिन विनोद खन्ना और विनोद मेहरा इन दोनों अभिनेताओं ने अपनी संवाद अदायगी की कोई ख़ास शैली नहीं बनाई .

ये लेखक के अपने विचार हैं

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