कृषि कानूनों से नाराज़ किसान और भी आक्रामक होते जा रहे हैं. पिछले साल नवंबर से शुरू हुए किसान आंदोलन को अब एक साल होने जा रहा है. मगर किसानों की बात ना तो मानी गई है और ना ही उनके हित में सरकार ने कोई फैसला लिया है. इस कारण किसान दल अपने आंदोलन को तेज़ और मज़बूत बनाने की योजना बना रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच समझौते की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने एक ट्वीट के जरिए सरकार को ये चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अगर जल्दी किसानों की माँगें पूरी नहीं की तो किसान दल ट्रैक्टरों की सहायता से दिल्ली को चारों ओर से घेर लेंगे.
राकेश टिकैत ने सरकार को 26 नवंबर तक का मौका दिया है वरना 27 नवंबर से सारे आक्रोशित किसान अपने गावों से ट्रैक्टरों पर सवार होकर दिल्ली बॉर्डर के चारों तरफ जारी आंदोलन क्षेत्र की ओर प्रस्थान करेंगे. उन्होंने कहा है कि इस बार पक्की किलेबंदी की तैयारी की जाएगी और तंबुओं को आंदोलन स्थल पर मज़बूती से लगाया जाएगा.
नवंबर 2020 से किसान आंदोलन के कारण हो रही परेशानी को देख कर सरकार ने 11 महीने पहले किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए बॉर्डर पर उन्हें रोकने की कोशिश की थी. किसानों ने तब ही से अपना अड्डा जमाया हुआ है. 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में लाल किले में हुई घटना व हिंसा के बाद टीकरी और सिंधु बॉर्डर पर सरकार ने कंक्रीट के भारी ब्लॉक लगा दिए थे. किसानों को रोकने के लिए पूरी बैरिकेडिंग कर दी गई थी.
मगर पिछले हफ्ते हुई सरकार और किसानों के 3 दिनों की चर्चा के बाद बैरिकेडिंग को हटाकर 5 फीट चौड़ा रास्ता खोल दिया गया है. दोनों तरफ से ढाई-ढाई फीट की लाइनें खोल दी गई हैं. इन रास्तों से लोग पैदल, बाइक और स्कूटी से जा सकते हैं. किसानों ने एंबुलेंस को भी उस रास्ते से आने-जाने के लिए इजाज़त दे दी है. लोग सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक इस रास्ते से आना-जाना कर सकते हैं.
किसानों ने अपनी चेतावनी को स्पष्ट कर दिया है. अगर सरकार अभी भी उनके मन की बात का मान नहीं रखेगी तो मंज़र काफ़ी दर्दनाक हो सकता है.