उपेंद्र कुशवाहा इन दिनों जदयू में सुधारवादी आंदोलन के प्रवर्तक की भूमिका में दिखाई दे ही रहे थे कि पार्टी के शीर्ष नेता नीतीश कुमार ने उनके सभी सुझावों और विचारों को खारिज कर दिया. यदि एक विश्लेषक के तौर पर देखें तो उपेंद्र कुशवाहा ने जिन मुद्दों को लेकर बात उठायी थी, वह पार्टी में सुधार की गुंजाइश को लेकर ही कही गयी थी. महागठबंधन में आने के बाद जिस प्रकार सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार को अपशब्द कहे और कई राजद नेताओं ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही तो उपेंद्र मोर्चा खोलने में सबसे आगे की कतार में दिखाई दिए. हालांकि बावजूद इसके वह अपने नेता की संवेदना हासिल करने में नाकाम रहे. अब उनका एग्जिट प्लान क्या होगा, यह आपको ट्रस्ट न्यूज बता रहा है.
आखिर क्या थी उपेंद्र की नीतीश से डील?
दो साल पहले जब उपेंद्र कुशवाहा अपनी रालोसपा को जदयू में विलय कर आए थे तो उस समय नीतीश कुमार से जो डील हुई थी उसे लेकर हमने पार्टी के एक वरीय नेता से बात की तो उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार को कुशवाहा ने भरोसा दिलाया था कि पार्टी में उनकी हैसियत नंबर दो की रहेगी, वही भविष्य में पार्टी के नेता होंगे. हालांकि पार्टी में उनको अधिकार नहीं दिए गए. जब नीतीश कुमार ने तेजस्वी को आगे बढ़ाने की बात कही तो वह दिन उपेंद्र के लिए झटके के समान था.
उपेंद्र नयी पार्टी बनाएंगे या फिर रालोसपा को एक्टिव कर सकते हैं
नीतीश के सोमवार को दिए गए बयान कि उपेंद्र की किसी पार्टी से बात हो गयी है, उसके बाद अब केवल औपचारिकता ही शेष है कि उपेंद्र कुशवाहा क्या करेंगे? कुशवाहा के निकटस्थ सूत्रों की मानें तो बीजेपी से बात लगभग हो गयी है. पार्टी के ज्यादातर नेता इसके पक्षधर हैं कि रालोसपा को फिर से जिंदा कर बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहिए. यही नहीं कई लोग जदयू उपेंद्र गुट के नाम से नयी पार्टी बनाने का भी सुझाव दे रहे हैं ताकि जदयू को आगामी चुनावों में झटका दिया जा सके. इस बीच उपेंद्र कुशवाहा अपने पत्ते 20 फरवरी को खोलेंगे. जिस दिन उन्होंने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलायी है.