डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के नए केसों के लगातार बढ़ने को चिंता का विषय बताते हुए यूरोप और मध्य एशिया में फरवरी तक पांच लाख मौत होने की बात कही है. डब्ल्यूएचओ ने कहा, “कोरोना के केसों का बढ़ना गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. यूरोप ठीक उसी अवस्था में आ चुका है, जहां हम पिछले साल थे. अगर इस संक्रमण पर जल्द से जल्द काबू नहीं पाया गया तो मौजूदा हालातों को देखते हुए फरवरी तक मौत के आँकड़े को पांच लाख तक पहुंचने की आशंका है.”
संगठन ने यूरोप तथा मध्य एशिया के 53 देशों को महामारी से निपटने के लिए अभी से सतर्क और तैयार रहने की बात कही. संगठन ने कहा कि अब हमें इस बात का फायदा हो सकता है कि हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी वायरस के बारे में पहले से ज्यादा और बेहतर जानते हैं और इससे निपटने के लिए बेहतर उपाय किए जा सकते हैं. इसलिए सभी देशों को इस चेतावनी को ध्यान में रखते हुए अभी से काम पर लग जाना चाहिए. इस संबंध में डब्ल्यूएचओ के यूरोप प्रमुख हंस क्लूज ने केसों में बढोतरी के लिए लोगों का लापरवाह होना और मास्क तथा वैक्सीन ना लगाने के बावजूद चिंतामुक्त रहने को जिम्मेदार ठहराया. हंस क्लूज ने कहा, “अगर यूरोप और मध्य एशिया के 95 प्रतिशत लोग मास्क पहनते रहते तो फरवरी तक होने वाले मौत का यह आंकड़ा लगभग एक तिहाई होता.”
आपको बता दें, यूरोप में पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना के मामलों में 50% से भी अधिक की वृद्धि देखने को मिली है. पिछले हफ्ते लगभग 18 लाख नए मामले और 24 हजार मौत हुई है. 42 देशों से डेल्टा कोविड सब–वेरिएंट एवाई 4.2 के अधिकतर मामले दर्ज किए गए है. जिन्हें मूल डेल्टा की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक खतरनाक माना जाता है. इस वजह से हाल के सप्ताहों में चीन के बाद अब यूरोप में भी दैनिक मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है. जो सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है. कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित रहे यूरोपिय देशों में एक बार फिर कोरोना के फैलाव ने डब्ल्यूएचओ समेत अन्य देशों के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है. वैक्सीन की आपूर्ति के बावजूद कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा दिखने से इस बात की आशंका जताई जा रही है कि या तो कोरोना की नई लहर आने वाली है आ चुकी है.