-गुजरात में सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट पर ₹ 1.54 लाख करोड़ का निवेश करने वाले बिहारी उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने बिहार में क्यों नहीं दिया एक रुपये का भी प्रोजेक्ट?
रविशंकर उपाध्याय। पटना
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की पिछले शुक्रवार को हुई मुलाकात इन दिनों बिहार में चर्चा में है। गुजरात को पिछले साल 1.54 लाख करोड़ का सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट उपहार में देने वाले उद्योगपति अनिल अग्रवाल, जिनका जन्म बिहार में हुआ है, उन्होंने अपने बिहार यात्रा में एक रुपए का भी प्रोजेक्ट बिहार को देने का भरोसा भी नहीं दिया है।
इसी कारण नाराज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएम हाउस से उनदोनों के मुलाकात की कोई प्रेस रिलीज भी जारी नहीं की। अनिल अग्रवाल ने अपने स्तर से बिहार की मीडिया में प्रेस रिलीज तो जारी की, लेकिन न तो अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से सीएम से मुलाकात की कोई जानकारी ही साझा की न ही इस बाबत औपचारिक मुलाकात का ही कोई पोस्ट किया। जबकि उन्होंने हाल ही में उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात और निवेश की जानकारी सबसे शेयर की थी।
यही नहीं पटना में तेजस्वी यादव से मुलाकात के ट्वीट को भी यह कोट करते हुए रीट्वीट किया कि आपसे मुलाकात अच्छी रही। ट्रस्ट न्यूज को पटना के बड़े कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने अनिल अग्रवाल से कहा कि वे बिहार में कोई बड़ा निवेश करें, लेकिन अनिल ने दबे स्वर में कहा कि पिछले बार जब उन्होंने एक प्रोजेक्ट के लिए जमीन मांगी थी, वह तो मिली ही नहीं। उनके कहने का आशय यह था कि अब वह तभी निवेश करेंगे जब राज्य सरकार से जमीन और पूरी मदद त्वरित मिलेगी।
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को भी सीधे-सीधे मदद करने का वादा नहीं किया
अनिल अग्रवाल ने शुक्रवार को ही बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन में पहुंचे थे, वहां भावनात्मक बातें की, लेकिन वहां भी उद्योगपतियों को कुछ साफ-साफ मदद करने का वादा नहीं किया। अनिल ने यहां एक सेमिनार में कहा कि बिहार में फैक्ट्रियां लगें और झारखंड कच्चे माल की आपूर्ति करे। इसके अलावा बिहार में सबसे ज्यादा सूर्य की रोशनी है। इसका उपयोग होना चाहिए। फ्रेट कारिडोर की भी जरूरत है।
अग्रवाल ने कहा कि बिहार के पास श्रम शक्ति, उपभोक्ता, उर्वरक भूमि है। झारखंड के पास कच्चा माल है। दोनों राज्य एक मंच पर आएं। सूर्य की रोशनी बिहार के पास सबसे ज्यादा है। इसके उपयोग से बिहार आगे बढ़ेगा। फ्रेट कारिडोर की भी जरूरत है। बेरोजगारी मिटाने के लिए युवाओं को सस्ता लैपटाप देना होगा। वे उत्पादों को पहचानने और बेचने का तरीका सीख जाएंगे। उन्होंने ग्लास और सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में आने की सलाह देते हुए कहा, योजना बनाएं, बिहार भी दूसरा गुजरात बन जाएगा। मैं भी साथ हूं, बिहार के लिए कुछ नहीं करूंगा तो मोक्ष नहीं मिलेगा।
पिछले साल वेदांता ने गुजरात में सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट फाइनल किया था
अनिल अग्रवाल ने गत वर्ष सेमीकंडक्टर का प्लांट लगाने के लिए महाराष्ट्र और गुजरात में से गुजरात को चुना था। दोनों राज्य सरकारों के बीच तीन चार महीनों तक इस कारखाने को लगाने के लिए खूब जोर आजमाइश हुई थी और आखिरकार यह डील गुजरात सरकार के हिस्से चली गई, क्योंकि गुजरात सरकार ने कारखाना लगाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा वेदांता समूह से किया था।
जब इस डील के लिए गुजरात और महाराष्ट्र सरकार में खूब प्रतिद्वंदिता चल रही थी, सीधे प्रधानमंत्री मोदी इस परियोजना में दखल दे रहे थे और अनिल अग्रवाल से उन्होंने सीधे डील की। यही नहीं महाराष्ट्र सरकार को यह भी भरोसा दिलाया की इससे बड़ा एक कोई प्रोजेक्ट वे महाराष्ट्र में लगाएंगे।
बिहार सरकार ने पिछले वर्ष भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी
जब उद्योग को अपने राज्य में लाने की यह सारी कवायद चल रही थी, उस बीच में बिहार सरकार ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जबकि सेमी कंडक्टर प्लांट का यह प्रोजेक्ट कुल 1.54 लाख करोड़ रुपए का है। जिससे 2 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होगा। इससे स्टेट जीएसटी मद में ही पहले पांच साल में 27000 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रह होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बिहार ऐसे राज्य के लिए यह बहुत बड़ी रकम हो सकती थी।