मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी कानून में सख्ती बरतने को लेकर बुलाई गई समीक्षा बैठक में पुरे एक्शन में दिखे. आला अफसरों और कैबिनेट मंत्रियों के साथ हो रही इस बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ़-साफ़ कहा कि शराबबंदी में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी. बिहार में अन्य राज्यों से ना तो शराब आने देंगे और ना ही बिहार में किसी को पिने देंगे, प्रशासन अब इसी तरह काम करेगा.
बैठक में लिए गए फैसले :
मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में मंगलवार को सात घंटों की इस मैराथन बैठक में मुख्यमंत्री ने कड़े लहज़े में शराबबंदी को लेकर बरती जा रही लापरवाही के प्रति कई गंभीर फैसले लिए. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के सीमा क्षेत्रों में सख्ती बढ़ाई जाएगी, ताकि अवैध तस्करी पर लगाम लगाया जा सके. साथ ही शराब की बरामदगी को लेकर एक केन्दीय दल समय-समय पर बिहार के सभी जिलों में छापेमारी करेगी. जिस जिले से शराब पकड़ी जाएगी वहां के आला अधिकारीयों को जवाब देना होगा और घटना क्षेत्र के थानाध्यक्ष को तत्काल ससपेंड किया जाएगा. शराब की तस्करी की जानकारी प्राप्त करने के लिए ख़ुफ़िया तंत्र विकसित किया जाएगा, जिससे होम डिलिवरी पर भी नकेल कसा जाएगा
इस बैठक में हालियों दिनों में बिहार में ज़हरीली शराब पीने से हुई मौतों को लेकर भी चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने गोपालगंज, मुजफ्फरपुर और बेतिया में हुई मौतों के मामले में तत्काल कारवाई शुरू करने के आदेश दिए. मुख्यमंत्री ने समीक्षा करते हुए कहा, शराब से होने वाले नुकसान और शराबंदी को लेकर जागरूकता फैलाये जाने की आवश्यकता है. महात्मा गांधी के मद्य निषेध के विचारों का प्रचार प्रसार किया जाए.
नीरा उत्पादन को शुरू करने के आदेश :
मुख्यमंत्री ने नीरा उत्पादन को लेकर भी बातचीत की. मुख्यमंत्री ने कहा शराबबंदी को लागू करने के साथ नीरा उत्पादन पर भी ध्यान दिया जाए. जहाँ एक तरफ नीरा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है वहीँ, इस से रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे और लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी. उन्होंने निर्देश दिया कि सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत नीरा उत्पादन के लाभार्थियों को चिन्हित कर उन्हें लाभ दिलाएं. और जल्द से जल्द नीरा उत्पादन को शुरू करें.
दुर्भाग्य देखिये, जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री अपने कैबिनेट दल और आला अधिकारियों के साथ शराबबंदी को सख्ती से लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठक कर रहे थे वहीँ, उसी सचिवालय के बहार शराब की खाली बोतलें पड़ी हुई मिली. और तो और, ठीक इसी समय वैशाली के महनार में पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे एक बड़े अधिकारी को शराब के नशे में गिरफ्तार किया गया.
प्रशासनिक अधिकारीयों का इस तरह नशे में पकड़े जाना या शराब की खाली बोतल का बिहार में किसी भी जगह दिख जाना केवल इस बात की ओर इशारा करता है कि शराबबंदी को लेकर भले सरकार बैठकें आयोजित करती रहे मगर इसका निष्कर्ष ज़मीनी स्तर पर शून्य है. खैर अब देखना यह है कि मगलवार को आयोजित समीक्षा बैठक में लिए गए फैसले कितने असरदार और कितने सफल साबित होते हैं.