क्या शीर्ष अदालत की फटकार के बाद जागेगी योगी सरकार

: श्वेता श्री

लखीमपुर खीरी मामले में शुक्रवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से न्यायालय बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है. शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि अब तक एफआईआर में दर्ज लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है.

न्यायाधीश एन वी रमना, सूर्य कांत और हिमा कोहली की बेंच ने यूपी सरकार से गुरुवार को जानकारी मांगी थी कि इस मामले में कितने लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. इसके पहले यूपी की महाधिवक्ता गरिमा प्रशाद ने न्यायालय को यह जानकारी दी थी कि सरकार की  तरफ  से पहले ही इलाहाबाद कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अगुवाई में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया जा चुका है, जो इस मामले की अच्छी तरह से छानबीन करेगी।

रविवार को हुई हिंसा में आठ लोगों की मृत्यु हुई थी, जिनमें चार किसानों की मौत बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा किसानों पर गाड़ी चलाने से हुई थी. जिनमें से एक गाड़ी में कैबिनेट मंत्री अजय मिश्रा के बेटे भी थे.

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने यह भी साफ किया था कि लखीमपुर हिंसा मामले में स्वतः संज्ञान नहीं लिया गया है, जैसा कि न्यायालय की कारण सूची में अंकित हैं. इसके अलावा यह भी कहा गया था कि वकीलों की पत्र याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था परंतु रजिस्ट्री में हुई गड़बड़ी के कारण इस मामले को सूओ मोटू करार दिया गया था. कोर्ट ने अब यह बात साफ कर दी गई कि इस मामले में आगे की सुनवाई मुख्य न्यायालय ही करेगी।

कथित तौर पर गृह राज्य मंत्रीअजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की संलंगनता और योगी सरकार द्वारा कोई भी कठोर कदम ना उठाने के कारण विपक्षी दल योगी सरकार पर हमलावर हैं. ऐसे में मुख्य न्यायलय  द्वारा की गई यह तल्ख टिपण्णी यूपी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर  सकती है. शुक्रवार को भी जब आशीष मिश्रा को पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया था तो वो पेश नहीं हुए थे. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या अभी तक योगी सरकार की आंखें नहीं खुली हैं. 2022 के चुनाव के मद्देनजर यह मामला विरोधियों के लिए योगी सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. पिछले साल हुआ हाथरस मामला और अब ठीक चुनाव के पहले हुई ये हिंसा बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है. क्या योगी सरकार शीर्ष अदालत की फटकार से सबक लेकर कोई कठोर कदम उठयेगी?

ये लेखिका के अपने विचार हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *