अफगानिस्तान के नए तालिबानी शाषण ने देश को आर्थिक पतन से बचाने में मदद करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से मॉस्को में वार्ता के लिए 10 क्षेत्रीय शक्तियों का समर्थन हासिल कर लिया है.
बुधवार को रूस, चीन, पाकिस्तान, भारत, ईरान, काजाखिस्तन, क्रीगिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने तालिबान के साथ संयुक्त राष्ट्र से देश के पुनर्निर्माण में मदद के लिए जल्द से जल्द एक सम्मेलन बुलाने की मांग की है.
वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि ” समझदारी के साथ, निश्चित रूप से, यह बोझ उन ताकतों द्वारा वहन करना चाहिए जिनकी सैन्य टुकड़ी पिछले 20 वर्षों से इस देश में मौजूद है.”
यह निश्चित रूप से अमेरिका के बारे में कहा गया है जिसने 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद अपनी सैन्य टुकड़ी अफ़ग़ानिस्तान भेज दी थी और जिसकी अचानक वापसी ने तालिबान के लिए देश का नियंत्रण वापस लेने का मार्ग प्रशस्त कर दिया.
अमेरिका ने तकनीकी कारणों की वजह से वार्ता में सम्मिलित ना होने का फैसला किया और साथ ही साथ यह भी कहा कि वह आगे की वार्ताओं में सम्मिलित हो सकता है.
तालिबान ने कहा कि सत्ता में आने के बाद उसने जल्द से जल्द सरकार बनाने और महिलाओं को उनका हक़ दिलाने का काम किया और कहा कि तालिबानी सरकार किसी भी दूसरे देश के लिए खतरा नहीं है.
अल जजीरा पर छपी एक खबर के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री, अमीर खान मुत्तक ने कहा कि ” अफ़ग़ानिस्तान कभी भी अपनी अपनी मिट्टी का इस्तेमाल किसी दूसरे देश की सुरक्षा के लिए खतरे के तौर पर नहीं करेगा. उप प्रधानमंत्री, अब्दुल सलाम हनाफी ने कहा कि ” अफ़ग़ानिस्तान को अलग थलग करना किसी के हित में नहीं है. यह वार्ता क्षेत्रीय स्थिरता के मद्देनजर बहुत जरूरी थी.”
मंगलवार को मॉस्को ने कहा था कि रूस, चिन और पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, जो अब मानवीय और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, को सहायता प्रदान करने के इक्छुक हैं.
रूस के विदेश मंत्री, लावरोव ने कहा कि रूस जल्द ही अफ़ग़ानिस्तान के लिए मदद भेजेगा. हालांकि लावरोव ने यह भी कहा कि तालिबान की मान्यता पर अभी चर्चा चल रही है.